शिलाई कांग्रेस के प्रतिनिधित्व पर भीड़ ना जुटने पर खड़े हुए सवालिया निशान
Himachal News: मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के आगमन पर जनता का हुजूम न होना शिलाई कांग्रेस के लिए अच्छे संकेत नजर नहीं आ रहे है। इसका आगामी लोकसभा चुनाव में सीधा असर नजर आ रहा है।
*पूर्व मुख्यमंत्रीयों के मुकाबले आधे से भी कम एकत्रित हुई मुख्यमंत्री के शिलाई आगमन पर जनता
शिलाई के राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब प्रदेश मुख्यमंत्री शिलाई दौरे पर पहुंचे हो, और जनता का हुजूम एकत्रित न हुआ हो। पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह, शांता कुमार, प्रेम कुमार धूमल, जयराम ठाकुर ने जब-जब शिलाई का दौरा किया तो जनता का हुजूम इतना रहा है कि शिलाई की जन रैली से लेकर बाजार व भवनों की छतों पर लोगों को जगह नहीं मिलती थी। लेकिन वर्तमान प्रदेश मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के आगमन पर शिलाई में जनता एकत्रित नहीं हो पाई है। जिससे शिलाई कांग्रेस के नेतृत्व पर सवालिया निशान खड़े होना लाजमी है।
*प्रदेश मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की शिलाई रैली में गिरिखंड क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र होने वाला मुद्दा बना रोड़ा*
लोकसभा चुनाव के मध्यनजर गिरिखंड क्षेत्र का जनजातीय क्षेत्र होने वाला मुद्दा कांग्रेस पार्टी के लिए किरकिरी बना हुआ है। गिरीखंड क्षेत्र की लगभग 155 पंचायतों के जनजातीय वाहुल, युवा, कांग्रेस की दोगली राजनीति से खूनस खाए हुए है। जिसका सीधा असर प्रदेश मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के शिलाई में संपन्न हुई जनसभा में साफ़ देखने को मिला है। जबकि भीड़ को एकत्रित करने के लिए शिलाई कांग्रेस ने बसों, गाड़ियों की निशुल्क व्यवस्था की थी। ऐसी परिस्थिति में प्रदेश मुख्यमंत्री के जहन में यह बात जरूर उठ रही होंगी कि जिस उम्मीद से वह शिलाई पहुचे थे उनके आगमन ने जनता की भीड़ उम्मीदों खरी नहीं उतर पाई है।
*राजनीतिज्ञों के अनुसार शिलाई में फिसल रही कांग्रेस की जमीन, शिलाई कांग्रेस के टेबल के नीचे वाली नीति का नजर आ रहा नतीजा*
राजनीतिज्ञों की माने तो दिसम्बर 2022 के विधानसभा चुनाव में हाशिए पर खड़ी शिलाई कांग्रेस का जनाधार पुनः खिसकना शुरू हो गया है। जो भविष्य में कांग्रेस पार्टी के स्वास्थ्य को शिलाई विधानसभा में अधिक खराब करने वाला है। इसका बड़ा कारण यह भी
बताया जा रहा है कि शिलाई के अदंर काग्रेस मण्डल से लेकर अन्य सत्ताधारी नेताओं की नीतियां जनता हित में नहीं है। यहां यदि कोई कार्य करवाना हो तो पहले कांग्रेस पार्टी के टेबल के नीचे वाले मापदंड पूरे करने होते है।
उसके बाद बूथ से लेकर मण्डल तक के कार्यकर्ताओं का विश्वास होना चाहिए तभी कार्य को अमलीजामा पहनाया जाएगा, अलबत्ता शिलाई में कांग्रेस पार्टी और इंसान का चेहरा पढ़कर कार्य करने की शैली अपना रही है। जिससे युवा और मध्यम वर्ग कांग्रेस से लगातार पिछड़ता जा रहा है। और धीरे धीरे पार्टी के ही नेता शिलाई कांग्रेस को खोखला कर रहे है। जो शिलाई कांग्रेस के साथ साथ शीर्ष नेतृत्व के लिए आगामी लोकसभा चुनाव में घातक साबित होने वाला है।
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