शिमला : गोबिंद सागर झील से मलबा बाहर निकालने के लिए हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने कारगर योजना का खाका अदालत के समक्ष रखने के आदेश दिए हैं। उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह शपथपत्र के माध्यम से अदालत को बताएं कि झील से किस तहत मलबा निकाला जा सकता है।
मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई 20 जुलाई को निर्धारित की है। बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने झील में किसी भी तरह की डंपिंग करने पर तुरंत प्रभाव से रोक भी लगा दी थी। फोरलेन विस्थापित और प्रभावित समिति के महासचिव मदन लाल ने जनहित में याचिका दायर की है।
याचिका में दलील दी गई है कि स्थानीय लोगों के कठोर विरोध के बावजूद भी भाखड़ा बांध जलाशय में अवैध रूप से सड़क का मलबा फेंका जा रहा है। अवैध डंपिंग से न केवल पर्यावरण को नुकसान हो रहा है बल्कि, झील में मछलियों की कमी भी देखी जा रही है। इसका मुख्य कारण झील में अवैध डंपिंग से गाद के स्तर में वृद्धि है। गाद की वजह से बिलासपुर जिले के सबसे बड़े जल निकाय गोबिंद सागर में विभिन्न मछली प्रजातियों के प्रजनन को नुकसान पहुंचाया गया है। अवैध डंपिंग के कारण यहां अब मछलियों के प्रजनन में भी कमी दर्ज की गई है।
हिमाचल प्रदेश रोड एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन के ठेकेदार पर मंडवान और अन्य नालों में मलबे के ट्रक को खाली करने का आरोप लगाया गया है। प्रार्थी ने अदालत से गुहार लगाई है कि गोविंद सागर में अवैध डंपिंग पर तुरंत प्रभाव से रोक लगाई जाए और दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।