Himachal : प्रदेश की जनसंख्या का अधिकांश भाग सरकारों डिपू राशन से होता है लाभान्वित
Himachal प्रदेश में सरसों तेल, उड़द की दाल और मलका की अनुपलब्धता की समस्या ने लोगों को परेशान कर दिया है। प्रदेश की जनता को सरकारी डिपुओं में सरसों तेल, उड़द और मलका की दाल पिछले तीन महीनों से नहीं मिल रही है इसलिए लोगो को खाद्य सामान महंगे दामों पर खरीदना पड़ रहा है। मामले को लेकर प्रदेश की जनता पिछले तीन महीनों से सरकार से अपील और शिकायत कर रही है लेकिन सरकार मूकदर्शक बनकर जनता की ज्वलंत समस्या को अनदेखा कर रही है अलबत्ता तीन माह बीतने के बाद डिपुओं में तेल के साथ दाल गायब है।
भ्रष्टाचार, आर्थिक बजट के साथ आपूर्ति विभाग का असंतुलन होने से डिपुओं में नहीं पहुंच पाया राशन
विभागीय सूत्रों की मानें तो डिपुओं में खाद्य सामग्री न पहुंचने के कई कारण बताये जा रहे है जिनमे आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, आर्थिक बजट की कमी, भ्रष्टाचार, लॉजिस्टिक्स और परिवहन की समस्या और मांग और आपूर्ति के असंतुलन होने के कारण सरकार तेल और दालों को डिपुओं तक पहुंचने में सरकार नाकाम नजर आ रही है।
शिकायतो के बाद भी हिमाचल के डिपुओं में नहीं पहुंचा तेल, दालें
प्रदेश में लगभग 75 लाख की आबादी रहती है जिनमे से 80 प्रतिशत परिवार सरकारी डिपुओं से मिलने वाले राशन पर निर्भर है। इन परिवारों में वो सभी लोग शामिल है जो प्रदेश के अंदर गरीबी रेखा के अंतर्गत व् मध्यम वर्गीय परिवारों में आते है।
इन परिवारों के लिए एक महीने का राशन बाजार से खरीदने पर अत्यधिक महंगा हो जाता है लेकिन प्रदेश के अंदर पिछले तीन महीनों से सरसो तेल और दालें सरकार ने उपलब्ध नहीं करवाई है। जिसे राज्य के लोग सरकार की नाकामी बता रहे है और साथ ही आरोप लगा रहे है कि प्रदेश सरक़ार जनता की ज्वलंत समस्याओं का हनन कर रही है, जनता को महंगे दामों पर बाजार से खाद्य सामग्री खरीदने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
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सरकारी डिपुओं में समय पर राशन पहुँचाने के लिए सरकार को उठाने होंगे ये कदम :
1. आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाना: सरकार को सरसों तेल, माश की दाल और मलका की आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाने के लिए कदम उठाने चाहिए। उन्हें आपूर्तिकर्ताओं के साथ मिलकर काम करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि ये सामान सरकारी डिपुओं में पहुँच रहे हैं।
2. आर्थिक बजट में वृद्धि: सरकार को अपने आर्थिक बजट में वृद्धि करनी चाहिए ताकि वे सरसों तेल, माश की दाल और मलका की खरीद कर सकें। उन्हें अपने बजट में प्राथमिकता देनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि ये सामान सरकारी डिपुओं में उपलब्ध हों।
3. भ्रष्टाचार पर नियंत्रण: सरकार को भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करने के लिए कदम उठाने चाहिए। उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि ये सामान सरकारी डिपुओं में पहुँच रहे हैं और जनता को सस्ते दामों पर मिल रहे हैं।
4. लॉजिस्टिक्स और परिवहन की समस्या का समाधान: सरकार को लॉजिस्टिक्स और परिवहन की समस्या का समाधान करने के लिए कदम उठाने चाहिए। उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि ये सामान सरकारी डिपुओं में पहुँच रहे हैं और जनता को सस्ते दामों पर मिल रहे हैं।
5. मांग और आपूर्ति के असंतुलन का समाधान: सरकार को मांग और आपूर्ति के असंतुलन का समाधान करने के लिए कदम उठाने चाहिए। उन्हें सुनिश्चित करना चाहिए कि ये सामान सरकारी डिपुओं में उपलब्ध हों और जनता को सस्ते दामों पर
सरकार को इस समस्या का समाधान करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए। उन्हें आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाने, आर्थिक बजट में वृद्धि करने, भ्रष्टाचार पर नियंत्रण करने, लॉजिस्टिक्स और परिवहन की समस्या का समाधान करने और मांग और आपूर्ति के असंतुलन का समाधान करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
खाद्य आपूर्ति विभाग के इंस्पेक्टर विक्रम चौहान ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया कि बीते तीन महीनो में सरकारी डिपुओं के अंदर सरसों का तेल, उड़द की दाल और मलका नहीं पहुंच पाई है। संबंधित विभाग व् सरकार को जनता की शिकायतें लगातार भेजी जा रही है। कब तक सरकारी डिपुओं में राशन आएगा यह बताया नहीं जा सकता क्योंकि यह उनके कार्यक्षेत्र से बाहर है। उन्होंने बताया कि जैसे ही सरकार उनके पास खाद्य सामग्री का स्टॉक भेजती है जनता को तुरंत आवंटित किया जाता है। वर्तमान में तीन महीने से सरसों तेल और दाल जनता को उपलब्ध नहीं हो पाई हो।