HomeOnline Quizस्वास्थ्यशिक्षा/नौकरीराजनीतिसंपादकीयबायोग्राफीखेल-कूदमनोरंजनराशिफल/ज्योतिषआर्थिकसाहित्यदेश/विदेश

----

हिक्किम से देश-दुनिया के लिए एक हजार से अधिक कार्ड हुए पोस्ट

Published on:

Follow Us

कार्यालय का उद्घाटन के पहले ही दिन सैकड़ों सैलानियों ने हिक्किम डाकघर से करीब एक हजार पोस्ट कार्ड अपने प्रियजनों को पोस्ट किए, पोस्ट कार्ड भेजने के लिए डाकघर में सैलानियों की लंबी कतार देखने को मिली। 

लाहौल-स्पीति: डाकघर के जरिये स्पीति में पर्यटन कारोबार को पंख लगेगा। डाक विभाग ने स्पीति के हिक्किम में दुनिया के सबसे ऊंचाई पर स्थित डिजिटल डाकघर का शुभारंभ किया। समुद्रतल से 14,567 फीट की ऊंचाई पर स्थित हिक्किम डाकघर अब लेटर बॉक्स के आकार में निर्मित कार्यालय से चलेगा। कार्यालय का उद्घाटन के पहले ही दिन सैकड़ों सैलानियों ने हिक्किम डाकघर से करीब एक हजार पोस्ट कार्ड अपने प्रियजनों को पोस्ट किए। पोस्ट कार्ड भेजने के लिए डाकघर में सैलानियों की लंबी कतार देखने को मिली। उम्मीद की जा रही है हिक्किम में तैयार किए गए इस नए डाकघर के जरिये स्पीति में पर्यटन कारोबार को और गति मिलेगी।

इतनी ऊंचाई पर पहुंचने के लिए सैलानियों की सांस फूल जाती है। बावजूद हिक्किम में रोजाना सैकड़ों सैलानी डाकघर के दीदार के लिए आ रहे हैं। हरियाणा के करनाल से हिक्किम पहुंचे सैलानी आकाश ने बताया वह शहरों की भीड़ और प्रदूषण से परेशान हो कर स्पीति घाटी पहुंचे हैं। मीडिया के जरिये हिक्किम डाकघर के बारे में पढ़ा था। अपने दोस्तों से साथ हिक्किम पहुंचे हैं। दिल्ली की रेणुका और दिव्या ने बताया कि दुनिया के सबसे ऊंचे डाकघर से विदेश में रह रहे अपने परिजनों को कार्ड पोस्ट किया। 

लेटर बाक्सनुमा कार्यालय के पीछे सुधीर की सोच, 39 सालों से हिक्किम डाकघर में तैनात है रिंचेन छेरिंग

हिक्किम में लेटर बॉक्सनुमा कार्यालय तैयार करने के पीछे रामपुर में तैनात विभाग के अधीक्षक सुधीर चंद की सोच को विभाग ने मूर्त रूप दिया है। डाक विभाग के हिमाचल जोन के चीफ पोस्ट मास्टर जनरल वंदिता कौल ने खुद इसका खुलासा किया। विभाग का दावा है कि हिक्किम पोस्ट ऑफिस देश का पहला ऐसा कार्यालय बन गया है जो लेटर बॉक्स नुमा आकार में निर्मित कार्यालय से संचालित हो रहा है। हिक्किम गांव के ही रिचेंन छेरिंग पिछले 39 साल से दुनिया के सबसे ऊंचे डाकघर में बतौर ग्रामीण डाक पालक के पद पर तैनात हैं। छेरिंग ने बताया कि उन्होंने साल 1983 को डाक विभाग में सेवाएं शुरू कीं। बर्फबारी के दौरान आसपास के कौमिक और लंगचा गांव तक डाक पहुंचाने के लिए 10 से 12 फीट बर्फ के बीच पैदल चलना पड़ता था।