नैनीताल हाइकोर्ट ने राज्य में प्रिजन डेवलपमेंट बोर्ड बनाने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दस दिनों के भीतर बोर्ड के गठन के निर्देश दिए हैं।
जनहित याचिकाओं पर सुनवाई
मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने ये निर्देश प्रदेश की जेलों में सीसीटीवी कैमरे, रहने की व्यवस्था सहित अन्य सुविधाओं के अभाव को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए। कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 23 अगस्त की तिथि नियत की है।
आठ साल बाद भी सरकार ने नहीं किया पालन
संतोष उपाध्याय व अन्य ने हाईकोर्ट में अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर कर कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने 2015 में एक आदेश जारी कर सभी राज्यों से कहा था कि वे अपने राज्य की जेलों में सीसीटीवी कैमरे लगाएं और जेलों में बंदियों और कैदियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराएं। राज्य में मानवाधिकार आयोग के खाली पड़े पदों को भरने के आदेश जारी किए थे लेकिन आठ साल बाद भी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सरकार को निर्देश दिए जाए कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करें।
सरकार ने दिया ये तर्क
सरकार की ओर से कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए बताया गया कि राज्य में कई नई जेल बन रही हैं, जिसमें पिथौरागढ़ जेल का निर्माण पूरा हो गया है, ऊधमसिंह नगर जेल का कार्य 43 प्रतिशत हो गया है, जबकि हल्द्वानी जेल का निर्माण कार्य भी 55 प्रतिशत पूरा हो चुका है। जेल में चिकित्सक और मनोवैज्ञानिक को कॉन्ट्रेक्ट बेस पर रखा जाएगा। इस पर कोर्ट ने जेल निर्माण का कार्य जल्द पूरा करने के लिए कहा है। कोर्ट ने प्रिजन डेवलपमेंट बोर्ड में जेल मंत्री उसके अध्यक्ष, चीफ सेकेट्री उपाध्यक्ष, प्रमुख सचिव गृह, प्रमुख सचिव वित्त, प्रमुख सचिव राजस्व, सचिव न्याय, डीजीपी, डीजी जेल और राज्य सरकार को दो नामित व्यक्ति जिसमे से एक महिला को रखकर कोर्ट को अवगत कराने के निर्देश दिए हैं।