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Gullak 4 Review: हंसी-मजाक, इमोशन के साथ लौटी मिश्रा परिवार की कहानी

By Sushama Chauhan

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Gullak 4 Review: टीवीएफ की वेब सीरीज गुल्लक का सीजन चार सोनीलिव पर रिलीज हो गया है. इसके पांच एपिसोड हैं जानें कैसी है वेब सीरीज, पढ़े रिव्यू.

Gullak 4 Review
Gullak 4 Review

Gullak 4 Review: एक मध्यवर्गीय परिवार. परिवार में दो बेटे और माता-पिता. परिवार का रोजाना की जिंदगी का संघर्ष. खट्टी-मीठी नोकझोंक. गली मोहल्ले के किस्से. कुछ इस तरह की कहानी लेकर आई थी टीवीएफ की वेब सीरीज गुल्लक. इस वेब सीरीज ने ओटीटी की दुनिया में उस कहानी के साथ दस्तक दी थी जो क्राइम, सेक्स और हॉरर कंटेंट के शोर में कहीं खो गई थी. टीवीएफ की इस सीरीज के तीन सीजन आए और इन तीनों सीजन ने फैन्स के दिलों में जगह बनाई. अब गुल्लक का चौथा सीजन रिलीज हो गया है. वेब सीरीज को सोनीलिव पर रिलीज किया गया है और गुल्लक की कहानी एक कदम और आगे बढ़ गई है.

Gullak 4 Review वेब सीरीज रिव्‍यू

करीब आधे-आधे घंटे की पांच किस्सों वाली इस सीरीज के पहले दो किस्सों (एपिसोड) ‘कारण बताओ नोटिस’ और ‘छिनैती’ से वैसा पुराना गहरा जुड़ाव महसूस नहीं होता, कभी घूस न लेने के सिद्धांत पर अडे़ रहने वाले संतोष मिश्रा का घूस देने से आई तुनकमिजाजी का तर्क गले नहीं उतरता. इसी तरह गले की चेन छिनने को आत्मसम्मान से जोड़ना भी अटपटा लगता है, लेकिन यह एपिसोड आखिर में दुख में भी पॉजिटिव पहलू देखने की सीख दे जाता है.

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Gullak 4 Review की कहानी

मिश्रा फैमिली फिर लौट आई है. बच्चे अब बड़े हो गए हैं और मिश्रा परिवार की राह में आने वाली दिक्कतें भी पहले से कुछ अलग हो गई हैं. मिश्रा परिवार का बड़ा बेटा जहां ऑफिस की परेशानियों में उलझा है तो वही भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग भी उनकी जिंदगी का हिस्सा है. वहीं अमन अब जवानी की दहलीज पर पहुंच गया है तो उसका व्यवहार और नए अनुभव भी परिवार की बातों का विषय हैं.

इस तरह कुल मिलाकर मिश्रा फैमिली एक कदम आगे बढ़ चुकी है और अब पेरेंटिंग भी इसका हिस्सा बन चुकी है. कुल मिलाकर गुल्लक की भाषा और किरदारों का व्यवहार पहले जैसा ही है. हालांकि जिस तरह से टीवीएफ ने पंचायत में माहौल को बदला है, उसी तरह गुल्लक में भी माहौल बदल चुका है. मामला संजीदा होता जा रहा है.

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Gullak 4 Review: कहानी का एक विलेन भी है जो डॉक्टर प्रीति को आनंद का नाम कूलर वाले मिश्रा के नाम से ‘सेव’ करने को कहता है. लेकिन अन्नू भैया की ‘विधाता’ जैसी बन रही इस पिक्चर के दिलीप कुमार हैं जमील खान. उनकी अदाकारी पर सबका दिल फिदा रहता है. गीतांजलि कुलकर्णी जैसी मां हर कोई चाहता है. ऊपर से कड़क और अंदर से आइस्क्रीम की ठंडक सा आशीर्वाद देती मां. नन्हकऊ अमन के किरदार में हर्ष मायर की मटरगश्ती इस बार अलग रंग में है. भाइयों का प्यार और आपसी समझदारी का इमला पढ़ना हो तो ये सीरीज तुरंत बिंज वॉच कर डालिए, क्योंकि ‘अब पापा सॉरी बोलेंगे तो अच्छा थोड़े ही लगेगा.

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