डेस्क: गुजरात के मोरबी ब्रिज हादसे के आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिहली है। सुप्रीम कोर्ट ने मोरबी ब्रिज हादसे में गुजरात हाई कोर्ट से बेल पाने वाले आरोपियों की जमानत को खारिज करने से इंकार कर दिया है। पिछले साल अक्तूबर के आखिर में मोरबी जिले की मच्छू नदी पर बना ऐतिहासिक ब्रिज हादसे का शिकार हो गया था। इसमें 135 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद पुलिस ने ओरेवा ग्रुप के एमडी जयसुख पटेल के साथ 10 लोगों को अरेस्ट करके चार्टशीट दाखिल की थी। इनमें से कुछ आरोपियों को हाई कोर्ट ने अलग-अलग ग्राउंड पर जमानत प्रदान की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इन्हीं में टिकट बेचने वाले आरोपियों की जमानत को रद्द करने से मना कर दिया है।
प्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ट्रैजेडी विक्टिम एसोसिएशन मोरबी की ओर से पेश वकील की इस दलील से सहमत नहीं हुई कि हाई कोर्ट ने गलत तरीके से आरोपी को जमानत दी है। 9 जून को हाई कोर्ट द्वारा आरोपी मनसुखभाई वालजीभाई टोपिया को दी गई जमानत को रद्द करने की याचिका खारिज करते हुए सीजेआई ने कहा कि वह सिर्फ टिकट बेच रहा था। मोरबी ब्रिज का ठेका लेने वाली कंपनी ओरेवा के मालिक जयसुख पटेल को अभी जमानत नहीं मिली है। वह मोरबी उप जेल में बंद है। तो वहीं दूसरी तरफ इस मामले का ट्रायल अब मोरबी कोर्ट में शुरू हो चुका है। पिछले दिनों सरकारी वकील ने पीड़ितों की मांगों और आरोपों के बाद केस छोड़ दिया था।
शीर्ष कोर्ट की थी टिप्पणी
गुजरात हाई कोर्ट ने ब्रिज हादसे के कुछ आरोपियों को जब जमानत दी थी तब कोर्ट इस तथ्य पर ध्यान दिया था कि जांच पूरी हो चुकी है और आरोप पत्र पहले ही दायर किया जा चुका है। हाई कोर्ट ने कहा थ कि मुकदमे को समाप्त होने में समय लगेगा, इसलिए न्यायिक हिरासत में आवेदक की उपस्थिति की आवश्यकता नहीं है।पिछले साल 21 नवंबर को शीर्ष अदालत ने मोरबी पुल ढहने की घटना को बहुत बड़ी त्रासदी करार दिया था, जिसमें 141 लोगों की जान चली गई थी और गुजरात हाई कोर्ट से समय-समय पर जांच और पुनर्वास सहित अन्य पहलुओं की निगरानी करने को कहा था।