शिमला : हिमाचल प्रदेश सरकार की मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति मामले में ट्रांसफर याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज हो गई है। सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में सीपीएस मामले की सुनवाई को लेकर आवेदन दायर किया था। सरकार ने सीपीएस की नियुक्ति से जुड़ी याचिकाओं को हाईकोर्ट से सर्वोच्च न्यायालय के लिए स्थानांतरित करने का आग्रह किया था। प्रदेश में वर्तमान में छह सीपीएस सरकार ने तैनात किए हैं।
बाकायदा इन्हें मंत्रियों के साथ अटैच भी किया है। भाजपा विधायक सतपाल सिंह सत्ती व कुछ अन्य लोगों ने सीपीएस की नियुक्ति को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उच्च न्यायालय में इस मामले की सुनवाई 7 दिसंबर को निर्धारित की गई है। भाजपा विधायक सतपाल सिंह सत्ती ने सीपीएस की नियुक्ति को उच्च न्यायालय में चुनौती देते हुए इसे लाभ का पद बताया है।
बता दें कि सीपीएस की नियुक्तियों को तीन याचिकाओं के माध्यम से चुनौती दी गई है। सबसे पहले वर्ष 2016 में पीपल फॉर रिस्पांसिबल गवर्नेंस संस्था ने सीपीएस को चुनौती दी थी। नई सरकार की ओर से सीपीएस की नियुक्ति किए जाने पर उन्हें प्रतिवादी बनाए जाने के लिए आवेदन किया गया। इसके बाद मंडी निवासी कल्पना देवी ने भी सीपीएस की नियुक्तियों को लेकर याचिका दायर की गई है। सत्ती ने उपमुख्यमंत्री समेत सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती दी है।
अर्की विधानसभा क्षेत्र से सीपीएस संजय अवस्थी, कुल्लू से सुंदर सिंह, दून से राम कुमार, रोहड़ू से मोहन लाल ब्राक्टा, पालमपुर से आशीष बुटेल और बैजनाथ से किशोरी लाल की नियुक्ति को चुनौती दी गई है। उधर, नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. राजीव बिंदल ने कहा कि यह फैसला कांग्रेस सरकार के लिए बड़ा झटका है।