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गंगूराम मुसाफिर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर उतरेंगे चुनाव मैदान में

By Sandhya Kashyap

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Summary

राजगढ़ : पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से एक बार फिर 40 वर्षों के बाद गंगूराम मुसाफिर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरेंगे। शनिवार को राजगढ़ में गंगूराम मुसाफिर के सैकड़ों कार्यकर्ता राजगढ़ मैदान में एकत्रित हुए। उसके बाद करीब 3 घंटे तक चली मैराथन बैठक में सभी कार्यकर्ताओं ...

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राजगढ़ : पच्छाद विधानसभा क्षेत्र से एक बार फिर 40 वर्षों के बाद गंगूराम मुसाफिर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव मैदान में उतरेंगे। शनिवार को राजगढ़ में गंगूराम मुसाफिर के सैकड़ों कार्यकर्ता राजगढ़ मैदान में एकत्रित हुए। उसके बाद करीब 3 घंटे तक चली मैराथन बैठक में सभी कार्यकर्ताओं ने गंगूराम मुसाफिर को निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए तैयार किया। 

पूर्व कांग्रेस मंडल अध्यक्ष ठाकुर देवेंद्र सिंह शास्त्री ने कहा कि केवल एक व्यक्ति द्वारा कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय अध्यक्ष को गलत तथ्य देकर गंगूराम मुसाफिर के खिलाफ भड़काया गया। 1982 में गंगूराम मुसाफिर ने वन विभाग की नौकरी से इस्तीफा देकर निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था। 

उस समय कांग्रेस सरकार के पास बहुमत नहीं था तथा तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने गंगूराम मुसाफिर को कांग्रेस में एसोसिएट विधायक के तौर पर शामिल किया तथा उन्हें राज्य वन मंत्री का पद भी दिया। उसके बाद 1985 से लेकर 2019 तक गंगूराम मुसाफिर कांग्रेस के टिकट पर लड़ते रहे। 2022 की विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा छोड़कर 1 अप्रैल 2020 को कांग्रेस में आई दयाल प्यारी कश्यप को कांग्रेस हाईकमान ने टिकट दी। 

भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुई दयाल प्यारी का पच्छाद कांग्रेस मंडल ने शुरू से ही विरोध किया। मंडल के सदस्यों ने शिमला जाकर राजीव भवन में भी तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप राठौर के समक्ष दयाल प्यारी को कांग्रेस में मिलाने की विरोध में प्रदर्शन किया था। 

जिसके बाद हिमाचल कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने पच्छाद कांग्रेस मंडल की कार्यकारिणी को ही भंग कर दिया था। कांग्रेस हाईकमान ने 17 अक्टूबर को जब 46 प्रत्याशियों की घोषणा की, तो जीआर मुसाफिर की टिकट काटकर दयाल प्यारी को दे दिया गया। 

जिसके बाद से गंगूराम मुसाफिर के समर्थकों में भारी रोष पनपा हुआ था। जिसके विरोध में शनिवार को राजगढ़ में सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने बैठक का आयोजन किया। इस बैठक में गंगूराम मुसाफिर ने कार्यकर्ताओं का आग्रह स्वीकार करते हुए 40 वर्षों के बाद एक बार फिर 25 अक्टूबर को निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन करने के लिए हामी भर दी है।

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