शिमला : शनिवार को हिमाचल के किसानों ने पंचायत भवन से राजभवन तक रोष मार्च निकाला। इस दौरान संयुक्त किसान मोर्चा ने राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा। दरअसल, किसान केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हैं और दूसरे चरण के आंदोलन की तैयारी में है। किसान मोर्चा ने राष्ट्रपति को ज्ञापन भेजकर केंद्र सरकार द्वारा किसानों से किए गए वादों को याद दिलाया।
बता दें कि किसानों ने दिल्ली में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है। किसानों के आंदोलन के बाद ही केंद्र ने 3 कृषि कानून वापस ले लिए थे। इस दौरान कई अन्य मांगों पर भी सहमति बनी थी, लेकिन ज्यादातर पूरी नहीं की गई। इससे किसानों में सरकार के प्रति रोष है। इससे नाराज हिमाचल के विभिन्न किसान संगठन आज शिमला संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले राजभवन के लिए मार्च निकाला।
किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तनवर ने बताया कि किसान केंद्र सरकार किसानों से वादा खिलाफी कर रही है। यदि फिर भी मांगे नहीं मानी गई तो किसान दोबारा आंदोलन शुरू करने को मजबूर होंगे।
किसानों की मुख्य मांगे : स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आधार पर सभी फसलों के लिए सी2+50 फीसदी के फॉर्मूला से MSP की गारंटी का कानून बनाया जाए। केंद्र सरकार द्वारा MSP पर गठित समिति व उसका घोषित एजेंडा किसानों द्वारा प्रस्तुत मांगों के विपरीत है। इस समिति को रद्द कर, APMC पर सभी फसलों की कानूनी गारंटी के लिए, किसानों के उचित प्रतिनिधित्व के साथ, केंद्र सरकार के वादे के अनुसार SKM के प्रतिनिधियों को शामिल कर, MSP पर एक नई समिति का पुनर्गठन किया जाए।
खेती का लागत मूल्य बढ़ने और फसलों के उचित दाम नहीं मिलने से 80 फीसदी से अधिक किसान कर्ज में फंस गए हैं और आत्महत्या करने को मजबूर हैं। ऐसे में सभी किसानों के सभी प्रकार के कर्ज माफ किए जाएं।
बिजली संशोधन विधेयक, 2022 को वापस लिया जाए। केंद्र सरकार ने 9 दिसंबर 2021 को संयुक्त किसान मोर्चा को लिखे पत्र में यह लिखित आश्वासन दिया था कि, “मोर्चा से चर्चा होने के बाद ही बिल संसद में पेश किया जाएगा।’ इसके बावजूद, केंद्र सरकार ने बिना कोई विमर्श के यह विधेयक संसद में पेश किया।
लखीमपुर खीरी जिला के तिकोनिया में चार किसानों और एक पत्रकार की हत्या के मुख्य साजिश कर्ता केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त किया जाए और गिरफ्तार करके जेल भेजा जाए। लखीमपुर खीरी हत्याकांड में जो किसान जेल में कैद हैं, उनको रिहा किया जाए और उनके ऊपर दर्ज फर्जी मामले वापस लिए जाएं। शहीद किसान परिवारों एवं घायल किसानों को मुआवजा देने का सरकार अपना वादा पूरा करे।
सूखा, बाढ़, ओलावृष्टि, फसल संबंधी बीमारी, आदि तमाम कारणों से होने वाले नुकसान की पूर्ति के लिए सरकार सभी फसलों के लिए व्यापक एवं प्रभावी फसल बीमा लागू करे।
सभी मध्यम, छोटे और सीमांत किसानों और कृषि श्रमिकों को 5000 प्रतिमाह की किसान पेंशन की योजना लागू की जाए।
किसान आन्दोलन के दौरान भाजपा शासित प्रदेशों व अन्य राज्यों में किसानों के ऊपर जो फर्जी मुकदमे किए गए हैं, उन्हें वापस लिया जाए।
किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे का भुगतान और उनके पुनर्वास की व्यवस्था की जाए, और शहीद किसानों के लिए सिंघु मोर्चा पर स्मारक बनाने के लिए भूमि का आवंटन किया जाए।