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चूड़धार चोटी पर लगी श्रदालुओं की भीड़, पड़ौसी राज्यों से भारी संख्या मे पंहुच रहे श्रद्धालु

By अखण्ड भारत

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Summary

For Shirgul Maharaj Darshan, the Nauhradhar-Churdhar road will be left for only 8 kilometers on foot.

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शिरगुल महाराज दर्शनों के लिए नौहराधार-चूड़धार मार्ग बनने पर महज 8 किलोमीटर रह जाएगी पैदल यात्रा

नौहराधार-चूड़धार सड़क बनने व रोपवे से धार्मिक पर्यटन को लगेंगे पंख

संगड़ाह: सिरमौर की सबसे ऊंची चूड़धार पर्वत चोटी पर शनिवार को विकेंड के चलते भारी संख्या में श्रद्धालू व ट्रैक्टर प़हुचे। वीकेंड के अलावा ज्येष्ठ मास की संक्रांति भी आज यहां लोगों का जमघट लगने का मुख्य कारण रही। देवभूमि हिमाचल के प्रमुख आस्था स्थलों मे शामिल चुड़धार में कोरोना बंदिशों से मुक्ति मिलने के कार गत वर्षों के मुकाबले इस बार कई गुना ज्यादा लोग पंहुच रहे हैं। बैशाखी पर परम्परा के अनुसार मंदिर के कपाट खुलने अथवा प्रतिबंध हटते ही श्रदालुओं की भीड़ जुटाना शुरु हो गई है और एक दिन मे भीड़ के पिछले सारे रिकॉर्ड टूट गए। नौहराधार के मुख्य रास्ते से शनिवार को करीब 5 घंटो का पैदल सफर कर हजारों की संख्या में श्रदालु चुडधार पहुंचे। रास्ते में अभी भी कईं जगह बर्फ जमी पड़ी है।

नागरिक उपमंडल संगड़ाह के अंतर्गत आने वाले चूड़धार के लिए केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित 250 करोड़ के नौहराधार-चूड़धार रोपवे का निर्माण होने पर यहां न केवल धार्मिक पर्यटन को पंख लगेंगे, बल्कि दिव्यांग व बुजुर्ग भी शिरगुल देवता के दर्शन कर सकेंगे। इसके अलावा करीब 8 किलोमीटर नौहराधार-चूड़धार सड़क के टेंडर लोक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियन्ता संगड़ाह द्वारा करवाए जा चुके हैं और गत 5 मई को मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इसका आनलाइन शिलान्यास भी कर चुके हैं। जमनाला तक उक्त सड़क तैयार होने पर श्रदालुओं को केवल 8 किलोमीटर ही पैदल यात्रा करनी होगी। बाहरी राज्यों अथवा हिमाचल के विभिन्न हिस्सों से पहुंचे कईं श्रद्धालुओं व पर्यटको की भीड़ के चलते नौहराधार में मौजूद होटल व गेस्ट हाउस आदि में कमरें न मिलने पर कई लोंग ढाबों, टेंट व गाड़ियों मे भी राते बिता रहे हैं। उपमंडल संगड़ाह के अन्य हिस्सों मे भी स्नो सीजन के बाद गर्मियां तेज होते ही मैदानी इलाकों से भारी संख्या मे सैलानी ठंडी हिमालई वादियों का लुत्फ उठाने पंहुंच रहे हैं। स्थानीय प्रशासन व चूड़ेश्वर सेवा समिति ने श्रदालुओं से अपील की है कि, रात को यात्रा का जोखिम न उठाएं।

दुर्लभ जीवों को प्लास्टिक के कचरे से खतरा

चूड़धार मे भारी तादाद में पंहुच रहे यात्रियों द्वारा यहां स्वछता व वन्य प्राणी क्षेत्र संबधी नियमों का ध्यान नही रखा जा रहा है। समुद्र तल से करीब 12,000 फुट ऊंची इस चोटी पर श्रद्धालु अथवा पर्यटकों द्वारा जगह-जगह प्लास्टिक की बोतलें, खाने की वस्तुओं के रैपर व अन्य तरह का सिंगल यूज प्लास्टिक का कचरा फेंका जा रहा है। क्षेत्र के पर्यावरण प्रेमियों के अनुसार चूड़धार के हिमालई जंगल मे पाए जाने वाले अति दुर्लभ वन्य प्राणियों व जड़ी बूटियों के लिए प्लास्टिक प्रदूषण बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। पर्यावरण प्रेमियों ने यहां प्लास्टिक अथवा पोलिथीन का कचरा न फैलाने व जंगल मे आग जलाने अथवा पार्टी मनाने जैसे काम न करने तथा वन्य प्राणी क्षेत्र के नियमों का पालन करने की अपील की है। 

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