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फ़रीदाबाद: दिल्ली से चला रहे थे फर्जी कॉल सेंटर, बैंक अफसर और इंजीनियर गैंग ने 1200 लोगों को ठगा

By Sushama Chauhan

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डेस्क: शातिरों का दिमाग तो देखिए। ठगी करने के लिए पहले गैंग बनाया, फिर उसमें बैंक कर्मचारियों और कंप्यूटर इंजीनियर को भी शामिल कर लिया। कॉल सेंटर खोला और क्रेडिट कार्ड बनाने के नाम पर लोगों को फंसाने लगे। देशभर में करीब 1200 लोगों से ठगी की। फरीदाबाद के एक शख्स से भी 53.04 हजार रुपये ऐंठ लिए। मामला साइबर थाना एनआईटी तक पहुंचा तो पुलिस ने आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया। सरगना की गिरफ्तारी के बाद बाकी आरोपी दिल्ली, नोएडा और बिहार से पकड़े गए। इनसे पांच मोबाइल, चार सिम कार्ड, दो डेबिट कार्ड व 44 हजार रुपये कैश मिले।

एसीपी साइबर क्राइम अभिमन्यु गोयत ने बताया कि आरोपियों में दीपक, तुषार उर्फ गोल्डी, अक्षय, विनय उर्फ जॉनी, रूपक, मनीष, कुनाल व रवीश शामिल है। सभी दिल्ली के सुभाष नगर में कॉल सेंटर चला रहे थे। यहां से लोगों को फोन कर पूछा जाता कि क्या वह कोई क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल कर रहे हैं। जब सामने से व्यक्ति बताता कि वह किसी बैंक का क्रेडिट कार्ड पहले से इस्तेमाल कर रहा है तो उससे कहा जाता कि निजी बैंक का क्रेडिट कार्ड बिना कोई फीस के बनवा दिया जाएगा और उस पर लाखों रुपये की लिमिट भी होगी। लोग झांसे में आ जाते तो ठग एक ऐप भेजते। जिसे खोलने पर निजी बैंक का लोगो दिखाई देता। ऐसे में लोगों को भरोसा हो जाता है कि यह असली ऐप है, जबकि वह ऐप फर्जी होता था। इसके बाद ठग उसे पहले से इस्तेमाल कर रहे क्रेडिट कार्ड से 10 रुपये इस ऐप के माध्यम से भेजने के लिए कहते।

ऐसे पकड़े गए ठग
जैसे ही व्यक्ति पैसे भेजने के लिए अपने क्रेडिट कार्ड का नंबर व अन्य डिटेल डालता तो सारी जानकारी ठगों के पास पहुंच जाती थी, फिर जालसाज क्रेडिट कार्ड में बची सारी लिमिट अपने खाते में ट्रांसफर करवा लेते। पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने बताया कि फरीदाबाद के शख्स से ठगी की शिकायत मिलने पर साइबर थाना एनआईटी प्रभारी नवीन कुमार के नेतृत्व में गठित टीम ने कार्रवाई की। टीम में शामिल एसआई अर्जुन सिंह, एएसआई भूपेंद्र, मुख्य सिपाही नरवीर, सिपाही युद्धवीर, अंशुल व अमित ने आरोपियों को पकड़ लिया।

बैंक खाते के बदले पैसे लेते थे असिस्टेंट मैनेजर और फील्ड ऑफिसर
कॉल सेंटर का मुख्य संचालक अक्षय था। उसने कंप्यूटर इंजीनियर रूपक से बैंक का ऐप बनवाया था। जिस पर डिटेल भरते ही कस्टमर के क्रेडिट कार्ड की जानकारी ठगों के पास आ जाती थी। नोएडा के एक निजी बैंक में असिस्टेंट मैनेजर रवीश और दिल्ली के एक बैंक में फील्ड ऑफिसर कुनाल का काम इन ठगों को फर्जी बैंक खाते खोलकर देना था। रवीश एक खाते के पांच हजार रुपये लेता था और उसे कुनाल को बेच देता था। कुनाल उन खातों और अपने बैंक में खोले गए अकाउंट को अक्षय को 18 हजार रुपये में बेचता था। दोनों ने अब तक दो बैंकों के 120 से अधिक बैंक खाते साइबर ठगों को बेचे हैं।

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