डेस्क: मध्यप्रदेश में प्रोफेशनल कोर्सों की पढ़ाई हिंदी में शुरू की गई है। सबसे पहले इंजीनियरिंग की पढ़ाई हिंदी में शुरू की गई थी। अब मेडिकल की पढ़ाई अंग्रेजी में शुरू की गई है। लेकिन हिंदी में इंजीनियरिंग पढ़ने में छात्रों की दिलचस्पी नहीं है। भोपाल में मौलाना आजाद नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में हिंदी मीडियम से पढ़ाई करने वाले इंजीनियरिंग के कुछ ही छात्र बचे हैं। मैनिट के निदेशक प्रोफेसर केके शुक्ला ने कहा कि हिंदी मीडियम में इंजीनियरिंग करने में छात्रों की दिलचस्पी कम है।
मैनिट में 1200 छात्रों ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया था। इनमें 150 छात्र वो थे, जिन्होंने अपनी पढ़ाई के लिए हिंदी मीडियम चुना था। इनमें से कई लोगों ने पढ़ाई और मैनिट छोड़ दी है। अभी मात्र 27 छात्र ही बचे हैं जो मैनिट में हिंदी मीडियम से इंजीनियरिंग कर रहे हैं। मैनिट के निदेशक प्रोफेसर केके शुक्ला ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया से बात करते हुए कहा कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के तहत मैनिट में कई गतिविधियां चल रही हैं। उसके नतीजे सामने नहीं आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने हिंदी मीडियम के छात्रों के लिए कई कदम उठाए हैं, इसके बावजूद वह उलझन में हैं।
हमारे यहां हिंदी में इंजीनियरिंग कर रहे छात्रों के लिए अलग सेक्शन है। हालांकि छात्र अभी उतने उत्सुक नहीं हैं। छात्रों के लिए इंजीनियरिंग में हिंदी करने पर ढेर सारी संभावनाएं हैं। मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में परिस्थितियां बदलेंगी।
वहीं, मैनिट के पीआरओ अमित ओझा ने कहा कि फैक्लटी बताते हैं कि हिंदी मीडियम में इंजीनियरिंग करने वाले छात्र पूछते हैं कि उनका मार्कशीट किस लैंग्वेज में होगा। मार्कशीट पर इस बात का जिक्र नहीं होता है कि छात्र ने किस मीडियम में पढ़ाई की है। इसके साथ ही शुरुआती दौर में एआईसीटीई ने आरजीपीवी को नोडल सेंट्रल बनाया था, जहां अंग्रेजी से हिंदी में किताब को ट्रांसलेट किया गया।
आरजीपीवी के वीसी सुनील कुमार ने कहा कि हमारे विश्वविद्यालय ने 12 किताबों को ट्रांसलेट किया है। भविष्य में 88 किताबों को ट्रांसलेट करने की और योजना है।