साथी को मुकदमों से लादना क्रूरता, तलाक का आधार, नपुंसकता का झूठा आरोप हो सकता है तलाक का आधार
तंबाकू खाने की लत तलाक के लिए पर्याप्त नहीं, मैरिटल रेप है तलाक का दावा करने का आधार
एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर बन सकता है तालाक का आधार, चूड़ी न पहनने, सिंदूर न लगाने पर तलाक, मां-बाप से अलग रहने को मजबूर करना क्रूरता
भारत का नाम दुनिया में सबसे कम तलाक वाले देशों में शुमार है, यहां अधिकतर मामलों में आपसी सहमति से तलाक होता है, जिनमें पेच फंसता है, वे अदालतों के दरवाजे पर पहुंचते हैं, भारत में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट्स ने अलग-अलग समय पर तलाक से जुड़े अहम फैसले और व्यवस्थाएं दी हैं, सुप्रीम कोर्ट का ताजा फैसला ऐसे मामले में आया है, जहां दो दशक से पति-पत्नी तलाक की कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे, शादी के 15 दिन भी नहीं बीते थे कि दोनों तरफ से मुकदमेबाजी शुरू हो गई।
पुरानी शादी को खत्म करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि शादी की शुरुआत से ही यह संबंध खत्म सा हो गया था और टेक ऑफ के समय ही क्रैश लैंडिंग हो गई, पेश मामले के मुताबिक, दोनों का वर्ष 2002 में विवाह हुआ था और दोनों के बीच तमाम मध्यस्थता असफल रही, एक सरकारी कॉलेज में असिस्टेंट प्रफेसर पति ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पत्नी ने शादी के दो हफ्ते बाद ही उन पर मुकदमा करना शुरू किया और एक के बाद एक कई केस लाद दिए, कोर्ट से कहा कि यह उनके प्रति पत्नी की क्रूरता है, सर्वोच्च अदालत ने पति की यह दलील मान ली और उन्हें तलाक लेने की अनुमति दे दी।
अकारण लंबे समय तक यौन संबंध से इनकार भी आधार, पति, ससुरालियों पर झूठे आरोप भी तलाक का आधार
अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जीवन साथी की नपुंसकता के संबंध में बेबुनियाद और झूठे आरोप लगाना क्रूरता के समान है, शीर्ष अदालत ने उस आधार पर तलाक की अनुमति देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा, फरवरी 2021 में बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने एक दिलचस्प केस में फैसला दिया, पति ने अर्जी लगाई थी कि उसकी पत्नी तंबाकू चबाती है, इसलिए तलाक दिया जाए, बेंच ने नागपुर फैमिली कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि पति के आरोप सामान्य हैं, अदालत का कहना था कि ‘ये आरोप कुछ और नहीं बल्कि विवाहित जीवन में सामान्य खटपट का हिस्सा हैं, यह दंपती लगभग नौ वर्षों तक एक साथ रहा और पति ने मानसिक क्रूरता के आधार पर तलाक मांगा है लेकिन वह इसे साबित करने में सफल नहीं हुए, 2016 में एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि किसी व्यक्ति के विवाहेतर संबंध और उसकी पत्नी का संदेह हमेशा ऐसी मानसिक क्रूरता नहीं होती, जिसे आत्महत्या के लिए उकसाने का प्रावधान माना जाए, लेकिन यह तलाक का आधार हो सकता है।
2020 को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले में सुनवाई करते हुए कहा था, ‘पत्नी का शाखा (कौड़ियों से बनी चूड़ियां) -सिंदूर पहनने से मना करना उसे या तो कुंवारी दिखाता है या फिर इसका मतलब है कि उसे शादी मंजूर नहीं है, पत्नी का ऐसा रुख यह साफ करता है कि वो अपना विवाह जारी नहीं रखना चाहती, कोर्ट ने इस आधार पर तलाक के लिए याचिका डालने वाले शख्स को तलाक की मंजूरी दे दी थी, पति को उसके मां-बाप से अलग रहने के लिए मजबूर करना क्रूरता है और यह तलाक का आधार हो सकता है, अक्टूबर 2016 में एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पत्नी के स्यूसाइड की धमकी देने को भी अत्याचार मानते हुए उसे भी तलाक का आधार करार दिया था, जीवन साथी का बगैर पर्याप्त कारण के यौन संबंध बनाने से लंबे समय तक इनकार मानसिक यातना के बराबर है, यह तलाक का आधार हो सकता है, दिल्ली हाईकोर्ट ने इस आधार पर साल 2016 में नौ साल पुराने रिश्ते को खत्म करने की अनुमति दे दी थी।
2016 में दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि पति और परिवार पर झूठे आरोप लगाना तलाक का आधार बन सकता है। महिला के ‘हनीमून खराब करने’ और पति तथा उसके परिवार पर झूठे आरोप लगाकर मानसिक क्रूरता करने को संज्ञान में लेकर अदालत ने 12 साल पुराने शादी के बंधन को तोड़ने की अनुमति दे दी थी।