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खाने के तेल की कीमतों में 4-7 रुपए प्रति लीटर की कमी, 60% खाद्य तेल दूसरे देशों से मगवाता है भारत

By Kanwar Thakur

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अखण्ड भारत टीम/दिल्ली :– सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ने यह फैसला किया था कि उसके सदस्य खाने के तेल की कीमतों को सस्ता करेंगे। एससीए ने कहा कि उसके सदस्य जेमिनी एडिबल ऑयल और फैट्स इंडिया, मोदी न्यूट्रल्स, गोकुल रिफॉयल, विजय सॉल्वेक्स, गोकुल एग्रो और एनके प्रोटींस अपने खाने के तेल की कीमतों में कमी कर दिए हैं।

जबकि अडाणी विल्मर और रुचि सोया ने दिवाली से ठीक एक दिन पहले खाने के तेल की कीमतों में कमी की गई है। देश की बड़ी कंपनियों ने तेल की कीमतों में 4-7 रुपए प्रति लीटर की कमी की है। हालांकि कीमतें थोक भाव पर घटाई गई हैं। इसका कितना असर रिटेल की कीमतों पर होगा, इसका फैसला नहीं किया गया है।

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, सरकारी प्रयासों की वजह से 31 अक्टूबर को पाम तेल की औसत रिटेल कीमत 21.59% घटकर 132.98 रुपए हो गई है। एक अक्टूबर को यह 160.6 रुपए प्रति कीमत बिक रहा था। इस समय मूंगफली तेल 185 रुपए लीटर बिक रहा है जबकि सरसों का तेल 225 रुपए लीटर बिक रहा है। सूर्यमुखी तेल की कीमत 170 रुपए लीटर है। एससीए ने कहा कि 10 अक्टूबर से 30 अक्टूबर के बीच पामोलीन, रिफाइंड सोया और रिफाइंड सूरजमुखी के तेल की थोक कीमतें 7 से 11% घटी हैं।

भारत खाने के तेल का करीबन 60% हिस्सा दूसरे देशों से मंगाता है। ग्लोबल लेवल पर अगर खाने के तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो उसका सीधा असर देश में खाने के तेल पर पड़ता है। हाल के समय विदेशों में खाने के तेल की कीमतें तेजी से बढ़ी हैं, जिसका असर देश में भी खाने के तेल की कीमतों पर दिखा है। सरकार ने खाने के तेल को सस्ता करने के लिए इंपोर्ट ड्यूटी अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में कमी की थी। हालांकि उसके बावजूद भी खाने के तेल की कीमतें बढ़ती ही गईं।

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