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 सस्ते राशन के डिपुओं में मिलेगा द्रंग और गुम्मा का सेंधा नमक

By अखण्ड भारत

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Summary

Drang and Gumma rock salt will be available in cheap ration depots

विस्तार से पढ़ें:

 द्रंग व गुम्मा में 133 एकड़ भूमि लीज पर दी गई है, 2011 तक हिंदुस्तान साल्ट लिमिटेड (एचएसएल) यहां द्रंग की खदान से निकलने वाले पानी से मैगली में सौर वाष्पीकरण विधि से नमक तैयार करती है। यह नमक क्रिस्टलयुक्त होता है। 

सुंदरनगर(मंडी): प्रदेश में अब सस्ते राशन की दुकानों (डिपुओं) में मंडी जिले के द्रंग और गुम्मा का सेंधा नमक भी मिलेगा। इस नमक को प्रदेश के हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए राज्य आपूर्ति निगम ने गुम्मा स्थित हिंदुस्तान साल्ट माइन की अधिकृत एजेंसी के साथ एमओयू किया है। 26 अप्रैल से डिपुओं तक नमक की आपूर्ति पहुंचाने की कवायद शुरू हो गई है। भारत में प्राकृतिक सेंधा नमक के पहाड़ों में बनी खानें सिर्फ मंडी जिले के द्रंग और गुम्मा में मौजूद हैं। करीब 10 वर्ष से इन खानों में उत्पादन बंद हो गया था। दिवंगत रामस्वरूप शर्मा ने सांसद बनने के बाद केंद्र से इन खानों को दोबारा शुरू करवाने की मांग रखी थी और करीब 300 करोड़ की राशि भी इसके लिए मंजूर कराई थी। वर्ष 2018 में यहां दोबारा नमक उत्पादन शुरू हुआ था। निगम के निदेशक रामचंद्र शर्मा ने बताया कि साल भर में 10,000 मीट्रिक टन नमक की खरीद कंपनी से की जाएगी। 

द्रंग सेंधा नमक की खान।

हिमाचल प्रदेश में अब सस्ते राशन की दुकानों (डिपुओं) में मंडी जिले के द्रंग और गुम्मा का सेंधा नमक भी मिलेगा। इस नमक को प्रदेश के हर व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए राज्य आपूर्ति निगम ने गुम्मा स्थित हिंदुस्तान साल्ट माइन की अधिकृत एजेंसी के साथ एमओयू किया है। 26 अप्रैल से डिपुओं तक नमक की आपूर्ति पहुंचाने की कवायद शुरू हो गई है। भारत में प्राकृतिक सेंधा नमक के पहाड़ों में बनी खानें सिर्फ मंडी जिले के द्रंग और गुम्मा में मौजूद हैं। करीब 10 वर्ष से इन खानों में उत्पादन बंद हो गया था। दिवंगत रामस्वरूप शर्मा ने सांसद बनने के बाद केंद्र से इन खानों को दोबारा शुरू करवाने की मांग रखी थी और करीब 300 करोड़ की राशि भी इसके लिए मंजूर कराई थी। वर्ष 2018 में यहां दोबारा नमक उत्पादन शुरू हुआ था। निगम के निदेशक रामचंद्र शर्मा ने बताया कि साल भर में 10,000 मीट्रिक टन नमक की खरीद कंपनी से की जाएगी। 

1841 में खोजी गई थीं खानें, मैग्नीशियम, कैल्शियम और पोटाशियम से भरपूर, लीज पर मिली है 133 एकड़ भूमि

गुम्मा व द्रंग में नमक की खानों को सर्वप्रथम 1841 में खोजा गया था। इनमें से घोघड़ धार में पाई जाने वाली गुम्मा और द्रंग की खानें प्रसिद्ध हैं। इनमें साल भर में औसतन 30-40 हजार टन नमक निकाला जाता है। गुम्मा नमक का रंग गहरा नीला होता है। मंडी से 12 किलोमीटर दूर मैगली में पानी को सुखाकर नमक में बदला जाता है। मंडी में पाई जाने वाली नमक की ये खानें भारत के किसी अन्य भाग में नहीं हैं। पाकिस्तान में ऐसी खानें पाई जाती हैं। कंपनी को द्रंग व गुम्मा में 133 एकड़ भूमि लीज पर दी गई है। 2011 तक हिंदुस्तान साल्ट लिमिटेड (एचएसएल) यहां द्रंग की खदान से निकलने वाले पानी से मैगली में सौर वाष्पीकरण विधि से नमक तैयार करती है। यह नमक क्रिस्टलयुक्त होता है। इसके अलावा चट्टान के रूप में निकलने वाला नमक मवेशियों को खिलाने के काम आता है।

नमक में प्रचूर मात्रा में मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटाशियम पाया जाता है। पोटाशियम मवेशियों में पाचन क्रिया को बढ़ाता है। चट्टानी नमक अमूमन सर्दियों के दौरान मवेशियों को खिलाया जाता है। सर्दियों में मवेशियों को सूखा चारा मिलता है। नमक मवेशी की पाचन क्रिया को बढ़ाकर सूखे चारे के पाचन में मदद करता है।

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