Dr. Chanchal Sharma बता रही है PCOD के कारण और निवारण
यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में पीसीओडी और पीसीओएस की समस्या बहुत तेजी से बढ़ रही है। ऐसा नहीं है कि यह आंकड़ा भारत के किसी एक भाग में बढ़ रहा है बल्कि पुरे देश में लगभग 22 % महिलाएं पीसीओडी से ग्रसित हैं। यह वो आंकड़े हैं जिनके बारे में हमें पता है लेकिन बहुत सी महिलाएं ऐसी हैं जिन्हे इसके बारे में कोई जानकारी ही नहीं है।
आशा आयुर्वेदा की डायरेक्टर तथा स्त्री रोग विशेषज्ञ Dr. Chanchal Sharma इस विषय में बताते हुए कहती हैं कि भारतीय समाज में जहाँ महिलाएं पर्दा और घूँघट की आड़ में रहा करती थी वहां महिलाओं से जुडी बीमारी के बारे में बात करना, विकास की एक लम्बी यात्रा का परिणाम है।
लेकिन आज भी हमारे देश के कुछ हिस्से ऐसे हैं जहाँ लोगों को पीसीओडी के बारे में जानकारी नहीं है। जबकि यह समस्या किसी भी उम्र की महिला को हो सकता है और समय पर ध्यान न देने की वजह से बांझपन का कारण भी बन जाता है। भारत सरकार द्वारा कई ऐसे अभियान चलाये जाते हैं जिससे लोग जागरूक हो और पीसीओडी जैसी बिमारी के लक्षण, कारण और उपचार को समझ सकें। अक्सर इससे प्रभावित महिलाओं में फेसिअल हेयर और वजन बढ़ने जैसी समस्या देखी जाती है।
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पीसीओडी क्या है?
पीसीओडी हार्मोनल असंतुलन से जुडी एक स्वास्थ्य समस्या है जो महिलाओं के अंडाशय (ovaries) को प्रभावित करता है। सामन्यतः किसी भी महिला के दोनों अंडाशय से बारी बारी हर महीने पीरियड्स के दौरान एग रिलीज किया जाता है लेकिन जिन महिलाओं को पीसीओडी की समस्या होती है उन्हें periods (पीरियड्स) में काफी परेशानी होती है।
ऐसी महिलाओं के अंडाशय से प्रायः इमैच्योर अंडे छोड़े जाते हैं जिसके कारण उन्हें सिस्ट जैसी समस्या भी हो सकती है। इससे ग्रसित महिलाओं में पुरुष हॉर्मोन की मात्रा सामान्य से अधिक बढ़ जाती है। जिस वजह से इनके पीरियड्स अनियमित हो जाते हैं और भविष्य में माँ बनने में भी परेशानी होती है।
इंडिया में बढ़ते जा रहे है पीसीओडी के मामले
वैसे तो पीसीओडी एक वैश्विक समस्या बनकर उभरी है लेकिन भारत में इसके आंकड़े बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं जो खासतौर पर रिप्रोडक्टिव एज ग्रुप की महिलाओं को प्रभावित कर रही है। भारत में करीब 20% महिलाएं इससे ग्रसित हैं। अगर ध्यान से देखें तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिपोर्ट के अनुसार 20 साल से 35 साल के बीच की महिलाओं में यह बिमारी ज्यादा पायी जाती है।
पीसीओडी के लक्षण क्या हैं?
पीसीओडी की समस्या अगर लम्बे समय तक बनी रहती है और आप इसका कोई इलाज नहीं करवाते हैं तो यह बांझपन का कारण बन सकता है। इससे प्रभावित महिलाओं के चेहरे पर अनचाहे बाल, कील, मुहांसे आदि देखे जा सकते हैं। उनका वजन तेजी से बढ़ने लगता है, दिल की बीमारी, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या, डायबिटीज आदि जैसी बिमारियों का खतरा बना रहता है।
भारत में बढ़ते पीसीओडी के मामलों का कारण क्या है?
भारत में बढ़ती हुयी इस समस्या के पीछे कई कारण हो सकते हैं जिनमे मुख्य रूप से जानकारी का अभाव है। ज्यादातर महिलाओं को तो पता भी नहीं होता है कि उन्हें ऐसी कोई समस्या है। आजकल लोगों की जीवनशैली, खानपान का तरीका, तनाव, अकेलापन, फिजिकली एक्टिव ना होना, प्रोसेस्ड और जंक फ़ूड का सेवन करना, ये सभी कारक पीसीओडी को बढ़ावा देने वाले कारक है। सितम्बर को एक ऐसे महीने के रूप में मनाया जाता है जिसमे पीसीओएस को लेकर जाकरूकता फैलाई जा सके।
पीसीओडी का इलाज क्या है?
आशा आयुर्वेदा की Dr. Chanchal Sharma इसके उपचार के बारे में बताते हुए कहती हैं कि इस बीमारी को पूर्णतः सही करने के लिए आपको अपने जीवनशैली में बदलाव लाना होगा। आयुर्विक उपचार द्वारा इसे पूर्णतः ठीक किया जा सकता है लेकिन आपको अपने खान पान का विशेष ध्यान देना होगा। आप बाहर का अनहेल्दी खाना अवॉयड करें और नियमित रूप से एक्सरसाइज करें तो इससे छुटकारा पा सकती हैं।
आप अपने भोजन में फाइबर और प्रोटीन से भरपूर आहार को शामिल करें। आप खुद अपनी फ़ूड हैबिट्स पर जितना नियंत्रण बनाये रखेंगे आपके लिए उतना फायदेमंद होगा और साथ ही आपका वजन भी कम हो पायेगा।