नई दिल्ली: खट्टी डकार आना एक आम समस्या है। अधिकतर लोग इसे एसिडिटी का संकेत मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। मगर ये गलती करना काफी भारी पड़ सकता है। खट्टी डकार, सीने में दर्द गैस्ट्रोइसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज का लक्षण हो सकते हैं, जिसे गर्ड (GERD) भी कहते हैं।
यह ऐसी बीमारी है, जिसमें पेट का एसिड बार-बार खाने की नली में चढ़ जाता है। इसकी वजह से खाने के बाद सीने में जलन (हार्टबर्न), गले तक तेजाब (एसिड) जैसा चढ़ना, खट्टी डकार आना, सीने में दर्द, निगलने में दिक्कत या गले में गांठ महसूस होती है।
NCBI पर मौजूद रिसर्च के अनुसार खाने की नली में बार-बार एसिड आने से फूड पाइप की अंदरुनी परत डैमेज हो जाती है। इसे रिफ्लक्स ऐसोफैजाइटिस कहा जाता है। यह स्थिति खाने की नली को अंदर से बुरी तरह जला सकती है और कैंसर का खतरा बढ़ा सकती है। केले की प्रकृति एसिडिक नहीं होती है, इसलिए यह एसिडिटी से छुटकारा दिलाता है। इसमें फाइबर, विटामिन बी6 और पोटैशियम की मात्रा प्रचुर होती है।
लेकिन ध्यान रखें कि आपको ज्यादा पका केला नहीं खाना चाहिए, क्योंकि ज्यादा पकने के बाद उसकी प्रकृति एसिड वाली हो जाती है। हार्वर्ड मेडिकल स्कूल के मुताबिक कुछ चीजें खाने से एसिडिटी-हार्टबर्न ज्यादा होता है। इस लिस्ट में पुदीना, फैटी फूड, मसालेदार फूड, टमाटर, प्याज, लहसुन, कॉफी, चाय, चॉकलेट और शराब आते हैं। अगर आपको बार-बार खट्टी डकार आती है तो इन फूड्स को खाने से बचें।
खाना खाने के बाद कम से कम 2-3 घंटे सोना या लेटना नहीं चाहिए। क्योंकि, इस स्थिति में एसिड आराम से फूड पाइप के अंदर आ सकता है। आप बैठने या खड़े रहने की कोशिश करें और देर रात खाने से बचें। सोते समय एसिड रिफ्लक्स होना काफी आसान होता है। इसलिए जब आप बिस्तर पर सो रहे हों तो ध्यान रखें कि आपका सिर थोड़ा ऊंचा हो। इस स्थिति में एसिड को गले तक आने में मुश्किल होती है और आप खट्टी डकार से बच सकते हैं।
मोटापे में पेट और खाने की नली को अलग करने वाला हिस्सा ढंग से बंद नहीं हो पाता है। जिसकी वजह से इन लोगों को बार-बार हार्ट बर्न और एसिड रिफ्लक्स हो सकता है। इसलिए आप अतिरिक्त चर्बी घटा लें।