शनिवार दोपहर को लंबे समय तक चले संघर्ष के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद जूनियर डॉक्टरों से मिली और मीटिंग करने का न्योता दिया। जूनियर डॉक्टरस भी राजी हो गए और सरकार के टॉप अथॉरिटीज को मेल भेज दिया। जैसे ही उन्होंने मुख्यमंत्री के दफ्तर को ईमेल भेजा, तुरंत उन्हें कालीघाट, यानी मुख्यमंत्री के घर पर बुलाया गया। शाम के करीब 7:00 बजे सभी अधिकारी और डॉक्टर वहाँ पहुँच गए। लेकिन मीटिंग शुरू होने से पहले डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री को अचानक शर्त दे दी कि बैठक तभी होगी जब लाइव स्ट्रीमिंग की जाएगी। डॉक्टर इस मांग पर अड़े रहे। यह इंतजार लगभग ढाई घंटे चला।
मुख्यमंत्री खुद डॉक्टरों से निवेदन करने गए कि वे उनके घर आकर बातचीत करें। लेकिन जब डॉक्टर अपनी मांग पर टिके रहे, तो स्वास्थ्य राज्यमंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य और अन्य अधिकारी बिना बातचीत किए वापस लौट गए। इसके बाद डॉक्टरों ने कहा कि वे बिना शर्त चर्चा के लिए तैयार थे, लेकिन फिर भी सरकार ने कहा कि चर्चा का समय बीत चुका है। डॉक्टरों की तरफ से कहा गया कि वह मुख्यमंत्री की इज्जत करते हैं और इसी वजह से बिना किसी शर्त के मीटिंग करने के लिए तैयार थे। लेकिन जैसे ही यह उन्होंने बताया, उपस्थित मंत्री और राज्य के टॉप ऑफिशल्स ने मीटिंग करने से इनकार कर दिया।
डॉक्टरों ने वापस अपने प्रदर्शन स्थल पर लौटकर इस घटना को लेकर सरकार की नीयत पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “हम चर्चा के लिए गए थे, हमने शुरुआत से कहा था कि हम बातचीत करना चाहते हैं, लेकिन क्या हुआ? हम बिना शर्त चर्चा के लिए तैयार थे। हो सकता है कि हमें थोड़ी देर हो गई हो, लेकिन मुख्यमंत्री और मंत्रियों ने कहा कि अब चर्चा का समय खत्म हो गया है। ऐसे में हम सरकार पर कैसे भरोसा करें? हम अपने संगठन के साथ बातचीत करेंगे और आगे का फैसला करेंगे।”
इस बीच, जब संदीप घोष और टाला थाने के पूर्व ओसी अभिजीत मोंडल को RG Kar Hospital बलात्कार और हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया, तो डॉक्टरों में उत्साह देखने को मिला। धरना स्थल पर मौजूद एक प्रतिनिधि ने कहा, “हमने 3 घंटे इंतजार किया। हमने किसी भी कीमत पर अपना सर नहीं झुकाया। लेकिन अभी भी बहुत सारे अपराधी बाहर है! हमें विश्वास है कि वे सभी जेल जाएंगे। आज हमारी बहन को थोड़ा सुकून मिलेगा। हमारी रीढ़ की हड्डी कोई नहीं मोड़ सकता।” इस घटनाक्रम ने आंदोलन को और तेज कर दिया है। डॉक्टर अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं और सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन अब वे सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं। देखना होगा कि आगे क्या होता है और सरकार इस मुद्दे को कैसे सुलझाती है।