डेस्क: राष्ट्रीय स्तर पर ग्रिड का प्रबंधन बेहतर है, वहीं राज्यों के कमजोर ट्रांसमिशन नेटवर्क और कम क्षमता की वजह से समस्या हो रही है। भारत के ग्रिड की क्षमता 255 गीगावॉट से ज्यादा है। वहीं, देश में बिजली की मांग 240 गीगावॉट पर पहुंच गई है……
देश में एक बार फिर से बिजली की मांग हर दिन के नए रिकॉर्ड पर पहुंच रही है। कुछ राज्यों में आपूर्ति की कमी से स्थिति गंभीर होती जा रही है। तमाम कोयला और पनबिजली इकाइयां अपनी क्षमता के रिकॉर्ड स्तर पर चल रही हैं। देश में कोयले के उत्पादन में दो अंकों की वृद्धि हुई है, बावजूद इसके कई राज्यों में बिजली आपूर्ति में कमी बनी हुई है!
देश के प्रमुख औद्योगिक राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, गुजरात में गर्मी के कारण बिजली की मांग बहुत ज्यादा बढ़ी है। ये सभी राज्य आपूर्ति की कमी से परेशान हैं। जबकि यूपी, राजस्थान, हरियाणा, बिहार जैसे राज्यों में सामान्यतया आपूर्ति में कमी अधिक रहती है। वहां बिजली की कमी पिछले साल से बहुत ज्यादा बढ़ी हुई है।
राष्ट्रीय स्तर पर देखें तो एक सितंबर को आपूर्ति में कमी सबसे ज्यादा 10 गीगावॉट रही, जब देश में बिजली की मांग एतिहासिक उच्च स्तर 240 गीगावॉट पहुंच गई थी। यह ऐसे समय में हो रहा है, जब कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्र अपनी उच्च क्षमता पर चल रहे हैं और पनबिजली इकाइयां भी अपनी पूरी क्षमता से चल रही हैं।
सरकारी पनबिजली ऑपरेटर एसजेवीएन ने हाल में अब तक के सर्वाधिक बिजली उत्पादन का रिकॉर्ड बनाया है। कि अगस्त 2023 में सभी बिजली स्टेशनों से बिजली का उत्पादन 159 करोड़ यूनिट के सर्वाधिक मासिक उत्पादन के रिकॉर्ड पर पहुंच गया !
पिछले साल से नौ फीसदी अधिक है। राष्ट्रीय स्तर पर देश की कुल बिजली आपूर्ति में पनबिजली की हिस्सेदारी 13 फीसदी है, जहां से कोयला के बाद सबसे ज्यादा बिजली आती है। कुल आपूर्ति में कोयले से उत्पादित बिजली की हिस्सेदारी 70 फीसदी है, जबकि अक्षय ऊर्जा (सौर, पवन और बायोमास) की हिस्सेदारी 11 फीसदी है।
दूसरी तरफ, अगस्त में सरकार की कोयला उत्पादन कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) के उत्पादन और लदान दोनों में दो अंकों की वृद्धि हुई है। सामान्यतया इस महीने में गिरावट आती है। हाल ही में कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि अगस्त 2023 में कुल मिलाकर कोयले के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। यह 676.5 लाख टन पहुंच गया है। कोयले के उत्पादन में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 12.85 फीसदी की वृद्धि हुई है
राष्ट्रीय स्तर पर ग्रिड का प्रबंधन बेहतर है, वहीं राज्यों के कमजोर पारेषण नेटवर्क और कम क्षमता की वजह से समस्या हो रही है। इसकी वजह से अतिरिक्त बिजली खरीद नहीं हो पाती। भारत के ग्रिड 255 गीगावॉट से ज्यादा की क्षमता है।
भारत में बिजली की मांग 240 गीगावॉट पर पहुंच गई है। जीडीपी में वृद्धि और इससे इलेक्ट्रिक मोबिलिटी, कूलिंग, डाटा सेंटर जैसे नए क्षेत्रों, औद्योगिक गतिविधियां बढ़ने, पर्यटन पटरी पर आने और शहरी आमदनी बढ़ने से मांग के दबाव का पता चलता है। इन दिनों बिजली की मांग में सामान्य तौर पर 16 फीसदी और अधिकतम 22 फीसदी वृद्धि हो सकती है। क्योंकि रोजाना की मांग भी 5.2 अरब यूनिट या 216 गीगावॉट के उच्च स्तर पर पहुंच गई है।