देहरादून से सरकारी मेडिकल कॉलेजों में MBBS में दाखिला दिलाने के नाम पर नीट में असफल हुए छात्रों के साथ करोड़ों की ठगी का मामला सामने आया है। प्रकरण में अभी तक फिलहाल चार आरोपितों का नाम सामने आया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
डॉक्टर बनाने के नाम पर करोड़ों की ठगी
जानकारी के अनुसार 25 अक्टूबर को 13 युवतियों ने शिकायती पत्र देकर बताया कि विनायक समेत चार व्यक्तियों ने जीएमएस रोड पर एक्सीलेंट एजुकेशन नाम से कोचिंग इंस्टीट्यूट खोला हुआ था। आरोपित नीट में असफल हुए छात्रों को फंसाते थे। अभी तक इस प्रकरण में 50 से ज्यादा पीड़ित सामने आ चुके हैं। जिनसे दाखिले के नाम पर ढाई से तीन लाख रुपए लिए गए थे।
इंस्टिट्यूट में कार्यरत स्टाफ को नहीं दिया था वेतन
बताया जा रहा है इंस्टीट्यूट में रखे स्टाफ को भी आरोपितों ने कई महीनों से वेतन नहीं दिया था। ठगी का शिकार छात्रों और इंस्टिट्यूट में काम करने वाले स्टाफ पटेलनगर कोतवाली में तहरीर दी है। तहरीर में उन्होंने बताया कि आरोपितों ने फर्जी दस्तावेजों से इंस्टीट्यूट के लिए भवन किराये पर लिया था और उसका भी किराया नहीं चुकाया है।
रातों-रात सामान समेटकर आरोपी फरार
आरोपियों ने इंस्टिट्यूट 18 से 24 अक्टूबर तक दशहरा की छुट्टी के चलते बंद किया हुआ था। इस बीच आरोपित रातों-रात अपना सामान समेटकर फरार हो गए। मामले को लेकर 28 अक्टूबर को केके राय निवासी गाजीपुर ने आरोपितों के खिलाफ तहरीर दी थी। केके राय ने बताया कि उनके भतीजे मुकेश ने एमबीबीएस में दाखिले के लिए नीट दिया था।
नीट में असफल छात्रों को बनाते थे शिकार
लेकिन मुकेश चार नंबर से चूक गया। जुलाई में विनायक और उसके साथियों ने केके राय से संपर्क किया और बताया कि वह स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के लिए भी काम करते हैं। उन्होंने बताया कि जो छात्र नीट में बेहद कम नंबर से चूक जाते हैं। वह उन्हें भारत सरकार के विशेष कोटे के तहत मेडिकल कालेजों में दाखिला दिलाते हैं।
आरोपितों के बारे में पूछताछ की जा रही
पटेलनगर कोतवाली के अंतर्गत बाजार चौकी इंचार्ज सनोज कुमार ने बताया कि जांच में सामने आया कि आरोपितों के आधार कार्ड दिल्ली के हैं। जबकि बैंक खाता उन्होंने इंस्टीट्यूट के पते पर खोल रखा था। मकान मालिक से भी आरोपितों के बारे में पूछताछ की जा रही है। अभी पीड़ित छात्रों के बढ़ने की उम्मीद है।