विकास खंड शिलाई की जांच सवालों के घेरे मे, जांच टिम ने भ्रष्टाचार मे लिप्त प्रतिनिधियों को बचाने के लिए कार्यालय को भेजी झूठी रिपोर्ट, मामले मे जांच टिम पर ही खड़े हुए सवाल
मौका पर 9 मजदूर, खंड अधिकारी को भेजी एक मजदूर की फोटो, जो मजदूर मस्ट्रोल पर, वह मजदूर कभी नही पहुंचे मजदूरी करने, पंचयात प्रतिनिधियों सहित कर्मचारीयों से आ रही सरकारी धन के दुरुपयोग की बुह
शिलाई: मनरेगा में कितना अंदर तक भ्रष्टाचार है। इसका अंदाजा विकास खण्ड शिलाई में हो रहे विकासात्मक कार्यों से लगाया जा सकता है। मामला विकास खंड की ग्राम पंचायत हलाह का सामने आया है। जहां मनरेगा के अंतर्गत हो रहे सरकारी धन के दुरुपयोग की शिकायत विकास खंड अधिकारी से की गई है। लेकिन यहां जांच करने पहुंचे कर्मचारियों पर ही भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे है। हद तो तब हो गई जब विकास खण्ड कार्यालय से भ्रष्टाचारियों को बचाने के लिए सूचनाएं भेजी गई कि, मौका पर जांच टीम आने वाली है, इसलिए नियमनुसार कार्य किया जाए, अन्यथा जांच टीम को सही रिपोर्ट अधिकारियों को देनी पड़ेगी और मामला उलझ जाएगा।
जानकारी के अनुसार पहले से विवादों में रहा हलाह पंचायत भवन का कार्य पंचायत द्वारा करवाया जा रहा है। भवन के लिए लगभग 3 लाख रुपए, एक वर्ष पहले सरकारी खजाने से गटक लिए गए है। अब कार्य शुरू हुआ तो जीआरएस व कनिष्ठ अभियंता द्वारा 3 मजदूरों का एक मस्टरोल लगाया गया है। लेकिन यह मजदूर कभी मजदूरी करने मौका पर नहीं पहुंचे। मौका पर तीन मजदूरों की जगह अन्य 9 मजदूर कार्य कर रहे है। जिनमे बाहरी पंचायत के मजदूर कार्यरत पाए गए है। ग्रामीणों ने मामले की शिकायत खंड अधिकारी को दी तो जांच टीम मौका पर पहुंची। लेकिन पंचायत प्रधान के साथ भ्रष्टाचार में लिप्त कर्मचारियों ने मात्र एक मजदूर के मौका पर होने की रिपोर्ट अधिकारियों को सौंपी है। जिससे यह पता चलता है कि, यहां जांच करने आने वाले कर्मचारी मौका पर कार्य करने वाले प्रतिनिधियों से अधिक भ्रष्ट होते है।
आश्चर्य तो इस बात से हो रहा है कि, हलाह पंचायत भवन में पिलर भरने का कार्य किया जा रहा है। लेकिन किसी भी मिस्त्री का मस्टरोल पंचायत ने नहीं लगाया है। तस्वीरों में लगभग 9 मजदूर कार्य करते हुए नजर आ रहे है। इनमे कुछ मजदूर बाहरी पंचायत है। और जिन मजदूरों का पंचायत ने मस्टरोल लगाया है। उनमें से कोई भी मजदूर मौका पर नहीं है। मामले में फर्जीवाड़े की शिकायत अधिकारियों से की गई तो विकासखंड कार्यालय से लेकर पंचायत प्रतिनिधियों सहित भ्रष्टतंत्र के खिलाफ कार्यवाही करने की जगह सफेद झूठ पर पर्दा डालने की कोशिशें की जा रही है।
शिकायतकर्ता ग्रामीणों के अनुसार पंचायत भवन में पूर्व प्रधान के दो भाइयों सहित पूर्व प्रधान की भाभी को मस्टरोल में मजदूर दर्शाया गया है। और वर्तमान प्रधान के साथ सरकारी धन को डकारने का मास्टर प्लान बनाया गया है। आधा मेट्रियल एक वर्ष पहले पंचायत प्रतिनिधियों ने निजी कार्य में लगा दिया है। अब मौका पर प्राइवेट सीमेंट से कार्य करवाया जा रहा है। जिससे जहां कार्य की गुणवत्ता घट गई है, वही कार्य में लिपापोथी की जा रही है। मिस्त्री की जगह मजदूर ही मिस्त्री का कार्य कर रहे है। बाहरी पंचायतों के मजदूरों को प्राथमिकता दी जा रही है। पंचायत भवन को लेकर इससे पहले कई बार शिकायतें की गई है। आरोप प्रत्यारोप के मामले न्यायालय में विचाधीन है l बावजूद उसके पंचायत प्रधान सरकारी धन को डकारने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ रहे है। भ्रष्टचार फेलाने के लिए संबंधित कर्मचारियों का पूरा सहयोग पंचायत प्रतिनिधियों का साथ रहता है। पंचायत के अंदर पिछले एक वर्ष के अंदर दर्जनों ऐसे कार्य करवाए गए है। जिन्हे मात्र कागजी फाइलों में दर्शाया गया है। मौका पर स्तिथि विपरीत नजर आ रही है। अधिकांश डारेक्ट फंड का दुरुपयोग नजर आ रहा है। अब जिला प्रशासन किसपर कितनी कार्यवाही अमल मे ला पाएगा यह देखने वाली बात होगी। वर्तमान में विकासखंड शिलाई के अंदर पूरा तंत्रभ्रष्ट नजर आ रहा है।
विकास खंड अधिकारी अजय सूद की माने तो उन्होंने बताया कि जांच करने भेजे गए कर्मचारियों ने उन्हें रिपोर्ट की है कि मौका पर तीन मजदूरों का मस्टरोल लगाया गया है। जिनमे से मात्र एक ही मजदूर मौका पर कार्य कर रहा है। बाकी दो मजदूर छूटी पर है। लेकिन मौका से उन्हें एक अन्य वीडियो मिली है। जिसमे मौका पर 9 मजदूर कार्य कर रहे है। इसलिए जांच करने भेजे गए कर्मचारियों पर जांच बिठाई जाएगी। मौका पर कार्य हो रहे मस्टरोल के तहत कार्य को बंद करने के आदेश दिए जा रहे है। तथा भ्रष्ट कर्मचारियों सहित पंचायत प्रतिनिधियों पर नियमानुसार विभागीय कार्यवाही अम्ल में लाई जाएगी।