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5 महीने बाद शुरू हुआ हेलंग बाईपास मार्ग का निर्माण, यह थी काम रोकने की बड़ी वजह

By Alka Tiwari

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Summary

जोशीमठ: शासन से हरी झंडी मिलने के बाद आखिरकार सीमा सड़क संगठन ने हेलंग बाईपास मार्ग के निर्माण का काम शुरू कर दिया है। पिछले लगभग 5 महीनों से अलग बायपास मार्ग का निर्माण का रुका हुआ था जिसका बड़ा कारण था जोशीमठ का भू-धंसाव। आपको बता दें कि जिला ...

विस्तार से पढ़ें:

जोशीमठ: शासन से हरी झंडी मिलने के बाद आखिरकार सीमा सड़क संगठन ने हेलंग बाईपास मार्ग के निर्माण का काम शुरू कर दिया है।

पिछले लगभग 5 महीनों से अलग बायपास मार्ग का निर्माण का रुका हुआ था जिसका बड़ा कारण था जोशीमठ का भू-धंसाव। आपको बता दें कि जिला प्रशासन ने स्थानीय लोगों की मांग को ध्यान में रखते हुए 5 जनवरी को अग्रिम आदेश आने तक इस निर्माण कार्य में रोक लगा दी थी।

जनवरी में शुरू हुआ था जोशीमठ में भू धंसाव

बदरीनाथ हाईवे पर हेलंग से बाईपास मार्ग का निर्माण 2022 में शुरू हुआ। चीन से सटे सीमा क्षेत्र तक सेना की आवाजाही को सुगम बनाने के लिए केंद्र सरकार ने हेलंग से मारवाड़ी तक 6.50 किलोमीटर बाईपास के निर्माण को हरी झंडी दी। इसके लिए बीआरओ को 185 करोड़ रुपये की स्वीकृति भी दी गई। बाईपास मार्ग पर हेलंग की ओर से दो किमी और मारवाड़ी की तरफ से करीब 500 मीटर सड़क बनाने के लिए पहाड़ों की कटिंग होने से जनवरी में जोशीमठ भू-धंसाव शुरू हो गया।

स्थानीय लोगों ने की थी काम रोकने की मांग

स्थानीय लोगों ने बाईपास मार्ग को भी भू-धंसाव के लिए जिम्मेदार बताया। जिस पर प्रशासन ने जोशीमठ क्षेत्र के आसपास सभी निर्माण कार्यों पर रोक लगा दी। तब से बाईपास का निर्माण कार्य लटका हुआ था।

IIT रुड़की की रिपोर्ट के बाद शुरू हुआ निर्माण

सरकार ने आईआईटी रुड़की की ओर से सकारात्मक रिपोर्ट आने के बाद अब बाईपास मार्ग के निर्माण को स्वीकृति दे दी है। मौके पर मशीनें और पर्याप्त मजदूर भी पहुंच गए हैं। पहले दिन दीवार निर्माण का काम शुरू किया गया है।

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बीआरओ को हुआ 12 करोड़ का नुकसान

हेलंग बाईपास मार्ग का निर्माण रुकने से बीआरओ को करीब 12 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा। गौरतलब है कि निर्माण कार्य रोकने से मजदूरों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया और मशीनें भी खड़ी रहीं। इसीलिए लगभग 12 करोड रुपए का ये नुकसान हुआ है।

Alka Tiwari

अलका तिवारी, उत्तराखंड की वरिष्ठ महिला पत्रकार हैं। पिछले एक दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय हैं। प्रिंट मीडिया के विभिन्न संस्थानों के साथ ही अलका तिवारी इलेक्ट्रानिक मीडिया, दूरदर्शन व रेडियो में भी सक्रिय रहीं हैं। मौजूदा वक्त में डिजिटल मीडिया में सक्रियता है।