सांस लेने में तकलीफ होने पर प्रोनिंग प्रक्रिया से होता है ऑक्सीजन स्तर में सुधार
नाहन:- मुख्य चिकित्सा अधिकारी सिरमौर डॉ के के पराशर ने बताया कि ऑक्सीमीटर के माध्यम से ऑक्सीजन लेवल की जांच केवल प्रशिक्षित व्यक्ति या स्वास्थ्य कार्यकर्ता से ही करवानी चाहिए। अगर किसी संक्रमित व्यक्ति की जांच के उपरांत ऑक्सीमीटर का उपयोग किसी दूसरे व्यक्ति की जांच के लिए किया जाए तो इससे संक्रमण के फैलने का खतरा बढ़ जाता है इसलिए इसके उपयोग में सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है।
उन्होंने बताया कि अगर सही प्रकार से जांच करने पर ऑक्सीजन लेवल कम आए तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें और तबीयत ज्यादा खराब होने की स्थिति में अपने नजदीकी अस्पताल जाएं।
पल्स ऑक्सीमीटर का सही उपयोग
होम आइसोलेशन के दौरान पल्स ऑक्सीमीटर का उपयोग करना बहुत आवश्यक होता है लेकिन ऑक्सीमीटर का उपयोग करते समय कुछ सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। ऑक्सीमीटर का उपयोग करते समय मरीज को सीधे बैठना चाहिए। इसका उपयोग तर्जनी उंगली पर करना चाहिए और उस उंगली पर नेल पॉलिश या पिगमेंट विकृति नहीं होनी चाहिए। ऑक्सीमीटर का उपयोग करते समय उंगली को लाल बत्ती के नीचे आराम से स्थिर करके रखें। पल्स ऑक्सीमीटर पर रीडिंग को एक मिनट तक स्थिर होने दें और रीडिंग लेते समय पल्स ऑक्सीमीटर को न दबाएं, रीडिंग को सीधे उज्जवल प्रकाश स्रोत के नीचे लेने से बचे। कंपकंपी या ठंड की स्थिति रीडिंग मूल्यों को बदल सकती है।
12 वर्ष तक के बच्चों के लिए एक अलग पल्स ऑक्सीमीटर जांच की आवश्यकता होती है। विशेष परिस्थितियों में बच्चों के पैर की उंगलियों या कान से भी रीडिंग ली जा सकती है। यह जांचने के लिए कि क्या पल्स ऑक्सीमीटर सही ढंग से काम कर रहा है, उसे ठीक से साफ करें और किसी अन्य व्यक्ति पर प्रयास करें जो संक्रमित न हो। अगर रीडिंग में ऑक्सीजन स्तर 93 प्रतिशत या उससे कम आता है तो बिना घबराए किसी को मदद के लिए बुलाए। ऐसी स्थिति में प्रोनिंग प्रक्रिया करनी चाहिए इससे ऑक्सीजन का स्तर बढ़ता है।
क्या है प्रोनिंग प्रक्रिया
होम आइसोलेशन में रह रहे कोविड-19 संक्रमित व्यक्ति प्रोनिंग प्रक्रिया द्वारा अपने ऑक्सीजन स्तर को सुधार सकते है। प्रोनिंग (पेट के बल लेटना) मरीज के शरीर की पोजीशन को सुरक्षित तरीके से परिवर्तित करने की एक प्रक्रिया है, जिसमें पीठ के बल लेटा हुआ मरीज जमीन की तरफ मुंह करके पेट के बल लेटता है। चिकित्सा के क्षेत्र में प्रोनिंग शरीर की एक स्वीकृत अवस्था है, जो सांस लेने की प्रक्रिया को आरामदायक बनाती है और शरीर में ऑक्सीजन के स्तर को बढ़ाता है। होम आइसोलेशन वाले कोविड मरीजों के लिए प्रोनिंग प्रक्रिया काफी फायदा पहुंचाती है।
अगर किसी कोविड-19 मरीज को सांस लेने में तकलीफ महसूस हो रही हो और उसका ऑक्सीजन स्तर 94 से नीचे चला गया हो, तो प्रोनिंग प्रक्रिया करना बहुत फायदेमंद होता है। पेट के बल लेटना वेंटिलेशन को बढाता है, श्वसन कोशिकाओं को खोलकर आसानी से सांस लेने में मदद मिलती है। होम आइसोलेशन के दौरान तापमान, ब्लड प्रेशर, और ब्लड शुगर जैसे अन्य लक्षणों में ऑक्सीजन स्तर को नियमित रूप से मॉनिटर करना बेहद महत्वपूर्ण है। इसके अतिरिक्त, हाइपोक्सिया (ऑक्सीजन सर्कुलेशन की कमी) कोविड मरीज की हालत और ज्यादा बिगड़ने का कारण बन सकती है।
कोविड-19 के मरीज जो घर पर ही क्वारंटाइन है तो उन्हें सेल्फ प्रोनिंग के लिए चार या पांच तकियों की आवश्यकता रहती है। मरीज को लेटने की पोजीशन में नियमित रूप से बदलाव करते रहना चाहिए। मरीज को किसी भी पोजीशन में 30 मिनट से ज्यादा समय तक नहीं लेटना चाहिए। प्रोनिंग प्रक्रिया की पांच अवस्था है जिसके अनुसार 30 मिनट तक पेट के बल लेटें, 30 मिनट तक दाईं तरफ करवट से लेटें, 30 मिनट बाई करवट से लेटें, 30 मिनट तक शरीर के ऊपरी हिस्से को उपर उठाए और बैठ जाएं। इसके बाद फिर से पेट के बल लेटें। प्रोनिंग के दौरान एक तकिये को गर्दन के नीचे रखें, एक या दो तकिये छाती और जांघ के उपरी हिस्से के बीच रखंे और दो तकिये पैर की पिंडलियों के नीचे रखने चाहिए।
प्रोनिंग प्रक्रिया गर्भावस्था के दौरान, डीप वेनस थ्रोम्बोसिस (जिसका उपचार 48 घण्टे के भीतर हुआ हो), हृदय सम्बन्धी प्रमुख बीमारियों की स्थिति में, अस्थिर रीढ, जांघ या कूल्हे की हड्डी फ्रैक्चर होने की स्थिति में और भोजन के बाद करीब एक घंटे तक नहीं करनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, प्रोनिंग को केवल तब तक करें, जब तक आप इसे आसानी से कर पा रहे है।
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उपायुक्त सिरमौर डॉ आर के परुथी ने बताया कि डिस्ट्रिक्ट रेड क्रॉस सोसाइटी ने जिला में सभी 487 आशा व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, 223 आयुर्वेदिक डिस्पेंसरी व स्वास्थ्य उप केंद्रों को पल्स ऑक्सीमीटर उपलब्ध करवाए हैं जिससे होम आइसोलेशन में रह रहे कोरोना संक्रमितों को सुविधा मिल रही है। इसके अतिरिक्त, जिला प्रशासन ने जिला के अस्पतालों में ऑक्सीजन की सुविधा वाले बेड की संख्या को भी बढ़ाया है। अभी हाल ही में मुख्यमंत्री श्री जय राम ठाकुर ने शिमला से वर्चुअल माध्यम से डॉ यशवंत सिंह परमार राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय नाहन में 300 एलपीएम क्षमता वाले ऑक्सीजन प्लांट का शुभारम्भ किया है। सिरमौर में ऑक्सीजन की फिलहाल कोई कमी नहीं है और आने वाले दिनों में जिला में प्रति बेड ऑक्सीजन उपलब्धता को तीन गुणा बढाने के प्रयास किए जाएंगे ताकि किसी भी स्थिति से निपटा जा सके।