अगर पानी मिला तो आसान हो जाएगा मंगल का सफर, मंगल पर दिखा क्रेटर्स का दिलचस्प नजारा
स्पेसक्राफ्ट की तस्वीरों में सबसे रोचक नजारा सतह पर बने क्रेटर्स का था। एक तस्वीर में प्राचीन क्रेटर के रिम को देखा गया जो लगभग 90 किमी चौड़ा है और आंशिक रूप से धूल, रेत और अन्य चीजों से भरा हुआ है।
स्पेस एजेंसी हों या वैज्ञानिक या दुनिया का सबसे अमीर शख्स, अनंत ब्रह्मांड में अब सभी की नजरें मंगल ग्रह पर टिकी हुई हैं। हर किसी को इस बर्फीले रेगिस्तान में जीवन की संभावनाएं नजर आती हैं। ऐसे में इस ग्रह से जुड़ी हर नई खोज बेहद अहम होती है। मंगल ग्रह का चक्कर लगा रहे चीन के एक स्पेसक्राफ्ट ने हाल ही में लाल ग्रह की कुछ बेहद दिलचस्प तस्वीरें खींची हैं। इनमें मंगल की लाल सतह को बेहद बारीकी से देखा जा सकता है।
चाइना एयरोस्पेस साइंस एंड टेक्नोलॉजी कॉर्पोरेशन ने बुधवार को पर कहा कि ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट ने पूरे मंगल ग्रह की तस्वीरें खींची हैं। जानकारी के साथ चीन ने पूरे मंगल ग्रह की कई तस्वीरें भी शेयर की हैं। चीन की सरकारी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार फरवरी 2021 में मंगल की कक्षा में प्रवेश करने के बाद स्पेसक्राफ्ट लाल ग्रह के 1300 से अधिक चक्कर लगा चुका है। ऑर्बिटर अपने साथ मंगल पर एक रोवर भी लेकर आया था जिसने यूटोपिया प्लेनिटिया में लैंड किया था। यूटोपिया प्लेनिटिया प्राचीन ज्वालामुखीय पत्थरों का एक विशालकाय क्षेत्र है जिसकी सतह के नीचे जमे हुए पानी का एक बड़ा भंडार मौजूद हो सकता है। चीनी रोवर का नाम है। चीन की प्राचीन पौराणिक कथाओं में आग के देवता को इस नाम से जाना जाता था। रोवर का उद्देश्य इस क्षेत्र में घूमना और बर्फीले पानी की खोज करना है। अगर नासा या चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन जैसी स्पेस एजेंसी भविष्य में इंसानों को मंगल पर भेजती हैं तो पानी एक अहम स्रोत की भूमिका निभा सकता है।
यह न सिर्फ ऐस्ट्रोनॉट्स को मंगल पर बने रहने में मदद कर सकता है बल्कि हाइड्रोजन और ऑक्सीजन में टूटकर रॉकेट ईंधन के लिए भी सहायक बन सकता है। क्योंकि मंगल की यात्रा करने वाले स्पेसशिप जाने और आने की पूरी यात्रा के लिए पर्याप्त पानी, ऑक्सीजन और हाइड्रोजन ले जाने में सक्षम नहीं है। इसलिए जाकर वापस आने के लिए उन्हें इसे मंगल पर ही खोजना होगा। चीनी मीडिया ने बताया कि रोवर ने हाइबरनेशन में जाने से पहले लगभग 2 किलोमीटर की यात्रा की थी ताकि मंगल की बर्फीली सर्दियों में अपनी ऊर्जा को बचाया जा सके। मंगल पर मौसम बदलेगा तब रोवर एक बार फिर यात्रा करना शुरू करेगा। एक ही अभियान में ग्रह की कक्षा में स्पेसक्राफ्ट भेजने और सतह पर रोवर तैनात करने वाला यह पहला मंगल मिशन था। स्पेसक्राफ्ट की तस्वीरों में सबसे रोचक नजारा सतह पर बने क्रेटर्स का था। एक तस्वीर में प्राचीन क्रेटर के रिम को देखा गया जो लगभग 90 किमी चौड़ा है और आंशिक रूप से धूल, रेत और अन्य चीजों से भरा हुआ है।
तस्वीर में खूबसूरत नजारे को देखा गया। घाटियों की यह श्रृंखला अमेरिका की चौड़ाई के बराबर लंबी है। इनकी गहराई 6 किमी तक गहरी हैं। बुधवार को चीन की सरकारी मीडिया ने बताया कि दोनों रोबोट्स ने मंगल की सतह और ऑर्बिट में अपना-अपना वैज्ञानिक मिशन पूरा कर लिया है। ऑर्बिटर ने 1,040 जीबी रॉ डेटा पृथ्वी पर वापस भेजा है जिसे CNSA अंततः सार्वजनिक रूप से जारी करेगी। हालांकि अभी तक मिशन के नतीजे स्पष्ट नहीं हुए हैं।