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सचिवों के हस्ताक्षर बिना जारी हुई थीं 500 करोड़ से ज्यादा की छात्रवृत्तियां: घोटाला

By अखण्ड भारत

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Summary

cholarships worth more than 500 crores were issued without the signatures of the secretaries: scam

विस्तार से पढ़ें:

यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट पर आखिरी हस्ताक्षर 2009-10 में तत्कालीन शिक्षा सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी के पाए गए है, केंद्र में बैठे अफसरों ने जांच किए बिना बजट जारी किया

शिमला: केंद्र सरकार ने हिमाचल प्रदेश सरकार को शिक्षा सचिवों के हस्ताक्षरों के बिना ही 500 करोड़ रुपये से अधिक राशि की छात्रवृत्ति जारी कर दी थी। वर्ष 2010 से लेकर 2017 तक किसी भी शिक्षा सचिव ने यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट पर काउंटर साइन नहीं किए थे। प्रदेश का बहुचर्चित 250 करोड़ की राशि का छात्रवृत्ति घोटाला भी इसी समय अवधि का है। सिर्फ संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारियों के हस्ताक्षर पर केंद्र ने सात साल तक राशि जारी करने का सिलसिला जारी रखा। शिक्षा विभाग की छात्रवृत्ति घोटाले को लेकर की गई प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में इसका उल्लेख है। इस रिपोर्ट को सीबीआई के ध्यान में भी नहीं लाया गया था। वीरवार को हाईकोर्ट में दायर नई याचिका के बाद यह तथ्य सामने आए हैं। नियमों के खिलाफ जाकर अपनाई इस प्रक्रिया में हिमाचल प्रदेश से लेकर दिल्ली तक कई प्रभावशाली लोगों के जांच की जद में आने की आशंका है।

2018 में शिक्षा सचिव डॉ. अरुण कुमार शर्मा की जांच रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षा सचिव के काउंटर साइन के बाद ही केंद्र सरकार बजट जारी करती है। यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट पर आखिरी हस्ताक्षर 2009-10 में तत्कालीन शिक्षा सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी के हैं। केंद्र सरकार में बैठे अफसरों ने भी इसकी जांच किए बिना बजट जारी किया। छात्रवृत्ति घोटाले की प्रारंभिक जांच के आधार पर शिक्षा विभाग ने 16 नवंबर 2018 को पुलिस थाना छोटा शिमला में एफआईआर दर्ज करवाई थी। इसमें प्रदेश सहित बाहरी राज्यों में स्थित 266 सरकारी व निजी शिक्षण संस्थानों को छात्रवृत्ति राशि जारी करने की जानकारी दी गई थी। सरकार ने मई 2019 में एक और एफआईआर दर्ज करवाई। इसमें सिर्फ 28 संस्थानों पर संदेह जताया गया। इस आधार पर ही सीबीआई ने केस दर्ज किया है। शेष 238 संस्थानों को क्लीन चिट पर अभी तक सरकार ने स्थिति स्पष्ट नहीं की।

238 शिक्षण संस्थानों को क्लीन चिट पर उठे सवाल, वर्ष 2012-13 में बदल दिए डीबीटी के नियम

वर्ष 2018 में शिक्षा सचिव डॉ. अरुण कुमार शर्मा की जांच रिपोर्ट के मुताबिक शिक्षा सचिव के काउंटर साइन के बाद ही केंद्र सरकार बजट जारी करती है। यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट पर आखिरी हस्ताक्षर 2009-10 में तत्कालीन शिक्षा सचिव डॉ. श्रीकांत बाल्दी के हैं। केंद्र सरकार में बैठे अफसरों ने भी इसकी जांच किए बिना बजट जारी किया।

विभाग के उच्च अधिकारियों ने वर्ष 2012-13 के दौरान डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत विद्यार्थियों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति के नियम तक बदल दिए थे। इस दौरान 80 फीसदी राशि शिक्षण संस्थानों और बीस फीसदी राशि विद्यार्थियों को जारी करने का नियम बनाया गया। इससे पहले सौ फीसदी राशि विद्यार्थियों के बैंक खातों में डीबीटी के तहत दी जाती थी।

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