डेस्क: छत्तीसगढ़ में सीएम भूपेश बघेल सरकार द्वारा सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया था। नोटिफिकेशन के अनुसार टी ग्रुप और ई ग्रुप के शिक्षकों के शिक्षकों की भर्ती की जाना है। सरकार द्वारा जारी इस भर्ती नोटिफिकेशन में एक अभ्यर्थी ने याचिका लगाई थी। जिसे कोर्ट ने खारिज करते हुए शासन के पक्ष में फैसला सुनाया है।
दरअसल, बिलासपुर शहर के चकरभाठा निवासी धनेश पाल ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी। इसमें स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती के लिए 4 मई 2023 को जारी अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। इसी याचिका की सुनवाई करते हुए प्रदेश हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि जनहित याचिका सार्वजनिक हित के लिए होनी चाहिए, व्यक्तिगत हित के लिए नहीं। कोर्ट का यह फैसला सरकार को राहत देने वाला रहा। इसके साथ ही सुनवाई के दौरान राज्य शासन की तरफ से याचिका के मेंटेबिलिटी पर भी सवाल उठाया गया।
याचिकाकर्ता ने क्यों लगाई शिक्षक भर्ती पर याचिका
छत्तीसगढ़ शिक्षक भर्ती की अधिसूचना के खिलाफ याचिका लगाते हुए याचिकाकर्ता राहुल ने कहा कि पहले शिक्षकों की नियुक्ति उनके स्नातक विषय के आधार पर होती थी। अब लेकिन राज्य सरकार ने विषय विशेष में स्नातक की आवश्यकता को हटा दिया है। मतलब कि अब कोई भी शिक्षक किसी भी विषय को पढ़ा सकता है। इससे अंत में नुकसान छात्रों का ही होगा।
अधिसूचना में नहीं दी विषयानुसार पदों की संख्या
याचिका में कहा गया कि राज्य शासन ने विषयवार पदों की जानकारी नहीं दी है। यह नियमों के विपरीत है। साथ ही अतिथि शिक्षकों को 10 प्रतिशत बोनस अंक देने को भी गलत बताया गया था। शासन की ओर से एडीशनल एडवोकेट जनरल चंद्रेश श्रीवास्तव ने पैरवी करते हुए कहा कि नियमों के अनुसार ही पूरी भर्ती प्रक्रिया हो रही है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ शासन द्वारा शिक्षक के टी संवर्ग के चार हजार 659 पद पर और ई संवर्ग के एक हजार 113 पदों पर भर्ती प्रक्रिया की जा रही है।