कफोटा : प्रदेश की “सुखविंदर सिंह सुक्खू” सरकार के व्यवस्था परिवर्तन वाली नीति ने शिलाई विधानसभा में विकास के मायने बदल दिए है। प्रदेश सरकार अपने कार्यकाल के लगभग चार महीने पूरे करने जा रही है। चार महीनों में शिलाई विधानसभा में कर्मचारियों के दर्जनों तबादले सरकार ने किए है। जिनमे कई कर्मचारी क्षेत्र से बाहर भेजे गए है तो कइयों ने न्यायालय की शरण लेकर सरकार के तबादले वाली व्यवस्था को गलत ठहराया है।
प्रदेश में उद्योगमंत्री हर्षवर्धन चौहान के गृह क्षेत्र में सरकार की व्यवस्था परिवर्तन के चलते जलशक्ति विभाग उपमंडल कफोटा में बीते चार महीनों से कनिष्ठ अभियंता के चारों पद खाली चल रहे है। पहाड़ी सरंचना वाला कफोटा उपमंडल एक सहायक अभियंता के सहारे वेंटिलेटर पर सांस ले रहा है। उपमंडल के दर्जनों गांवों में पेयजल किल्लत बनी हुई है। दर्जनों विकासात्मक योजनाएं अधर में लटकी हुई है। कनिष्ठ अभियंता के न होने के कारण हजारों की संख्या वाले ग्रामीण क्षेत्र पेयजल योजनाओं सहित विकासात्मक योजनाओं को पूर्ण होने के खोखले सपने देखते नजर आ रहे है। सरकार की ऐसी व्यवस्था परिवर्तन वाली नीति लोगों को रास नहीं आ रही है। सरकार की करनी और कथनी पर लोगों में भारी रोष नजर आ रहा है।
जलशक्ति विभाग शिलाई उपमंडल कफोटा की बात की जाएं तो वर्तमान समय में लगभग 70 से 90 किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। पूरा क्षेत्र पहाड़ी सरंचना वाला है। यहां एक गांव से दूसरे गांव को पेयजल सप्लाई देने के लिए अत्यधिक समस्याएं है। कफोटा उपमंडल को जलशक्ति विभाग ने चार भागों में बांटा है। पहले अनुभाग में कफोटा, दूसरे अनुभाग में जाखना, तीसरे अनुभाग में कमरऊ और चौथे अनुभाग के अंतर्गत सतौन क्षेत्र को रखा गया है। चारो अनुभाग में कनिष्ठ अभियंता के पद खाली चल रहे है। बीते चार महीनों से उद्योग मंत्री के गृह क्षेत्र वाले अनुभाग जाखना में भी जलशक्ति विभाग के कनिष्ठ अभियंता का पद खाली चल रहा है। जलशक्ति उपमंडल कफोटा के अंतर्गत 44 उठाऊ पेयजल योजनाएं संचालित है। लगभग 108 बहु पेयजल योजनाओं सहित 5 उठाऊ और 18 बहु सिंचाई योजनाएं संचालित है। जो कनिष्ठ अभियंता न होने के चलते राम भरोसे चल रही है। इतना ही नहीं बल्कि यहां जलशक्ति विभाग उपमंडल कफोटा के अंदर पिछली सरकार द्वारा स्वीकृत 12 नई पेयजल योजनाओं के कार्य प्रगति पर है। जो प्रदेश सरकार की व्यवस्था परिवर्तन वाली नीतियों के चलते ठप पड़े हुए है। उपमंडल के चारों अनुभागों में कनिष्ठ अभियंता के खाली पदों ने क्षेत्रीय लोगों के लिए जहां पेयजल किल्लत की मुसीबत बढ़ा दी है। वही सरकार के व्यवस्था परिवर्तन वाली नीति पर कई सवाल खड़े हो रहे है।
क्षेत्रीय लोगो की माने तो उनका कहना है कि भले ही उद्योगमंत्री उनके गृह क्षेत्र के रहने वाले है। लेकिन क्षेत्र का विकास करना उनका लक्ष्य नहीं है। प्रदेश सरकार के सत्ता में आने के बाद एकाएक करके कनिष्ठ अभियंता के तबादले किए गए है। जिन कर्मचारियों को क्षेत्र में सरकार ने भेजा है उन्होंने न्यायालय से स्टे ले लिए है। सुचारू तौर से चल रही व्यवस्था का परिवर्तन प्रदेश सरकार इस तरह करेंगी यह सोचा नहीं था। चार माह से दर्जनों कार्य अधर में लटक गए है और लोगों को भारी परेशानियों से गुजरना पड़ रहा है।
जलशक्ति विभाग शिलाई मंडल के अधिशासी अभियंता राजेश कुमार की माने तो उन्होंने बताया कि खाली पदों की जानकारी समय-समय पर सरकार को भेजी जाती है। तबादले और नियुक्ति करना सरकार के कार्यक्षेत्र की बात है। उन्होंने कहा कि यह बात सही है कि उपमंडल कफोटा में कनिष्ठ अभियंता के पद खाली है। जिनको भरने के लिए उच्चाधिकारियों को लिखा गया है।