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सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग करने पर कटेगा चालान, होगी कड़ी कार्रवाई: एडीसी

By Sandhya Kashyap

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धर्मशाला, 29 जनवरी : सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) के उपयोग की रोकथाम के लिए सभी विभागों को कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। जिला कांगड़ा में आने वाले दिनों में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग करने वाले दुकानदारों और विक्रेताओं पर सख्त कार्रवाई कर उनके चालान किए जाएंगे। धर्मशाला स्थित ...

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धर्मशाला, 29 जनवरी : सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) के उपयोग की रोकथाम के लिए सभी विभागों को कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। जिला कांगड़ा में आने वाले दिनों में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग करने वाले दुकानदारों और विक्रेताओं पर सख्त कार्रवाई कर उनके चालान किए जाएंगे। धर्मशाला स्थित डीआरडीए सभागार में आज सोमवार को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के आदेशों की अनुपालना के तहत आयोजित जिला स्तरीय समिति की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए अतिरिक्त उपायुक्त सौरभ जस्सल ने यह बात कही। 

उन्होंने कहा कि प्रदेश में सिंगल यूज प्लास्टिक और पॉलिथीन के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध होने के बावजूद जिले में कईं स्थानों पर दुकानदार इनका उपयोग करते पाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले पंद्रह दिनों में जिले में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग करने वाले 12 विक्रेताओं के नौ हजार रूपये के चालान किए जा चुके हैं। एडीसी ने कहा कि आने वाले दिनों में यह मुहीम रफतार पकड़ेगी और सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग और विक्रय करने वाले दुकानदारों के चालान करने के साथ उनके उपर नियमानुकूल कार्रवाई भी अमल में लाई जाएगी।

यह प्रॉड्क्टस् हैं प्रतिबंधित

अतिरिक्त उपायुक्त ने बताया कि प्लास्टिक कचरा प्रंबधन नियम 2016 (संशोधित) नियम (4) के अनुसार पॉलिस्ट्रीन सहित प्लास्टिक स्टिक वाले ईयरबड्स, गुब्बारों के लिए प्लास्टिक की छड़ी, प्लास्टिक के झंड़े, आइसक्रीम में प्लास्टिक स्टिक, सजावट के लिए पॉलिस्ट्रीन (थर्मोकॉल) एवं प्लेट, कप, गिलास, प्लास्टिक की कटलरी जैसे कांटे, चम्मच, चाकू, स्ट्रा, ट्रे, मिठाई के बक्से तथा 10 माइक्रोन से कम प्लास्टिक या पीवीसी बैनर पर प्रतिबन्ध है। उन्होंने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक और पॉलिथीन का निर्माण, आयात, स्टॉकिंग, वितरण, बिक्री और उपयोग करने वाले पर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

उल्लंघन करने वालों पर होगी कार्रवाई

उन्होंने बताया कि आदेशों का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986 के तहत उचित समझे जाने वाली कार्यवाही, जिसमें माल की जब्ती, पर्यावरण क्षतिपूर्ति की वसूली, उद्योगों, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के संचालन को बंद करने जैसी कार्यवाही की जाएगी।

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इन कार्यों की हुई समीक्षा

बैठक में जिले में एनजीटी के तहत गठित कमेटियों द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा की गई। अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि सभी अधिकारी अपने-अपने विभागों में नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल तथा उच्च न्यायालय के आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि पर्यावरण में स्वच्छता बनाए रखने के दृष्टिगत नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से सॉलिड वेस्ट, प्लास्टिक वेस्ट, बायो मेडिकल वेस्ट, ई-वेस्ट तथा कंस्ट्रक्शन वेस्ट आदि के प्रबंधन के लिए जो नियम बनाए गए है, उनका सफल तरीके से क्रियान्वयन सुनिश्चित करवाना विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी है।

उन्होंने कहा कि जिले के नदी-नालों में प्रदूषण, अवैध डंपिंग और अवैध खनन को रोकने के लिए आवश्यक कदमों को उठाते हुए दोषियों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई जाए। उन्होंने कहा कि जिला के ग्रामीण क्षेत्रों में भी स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत ठोस एवं तरल कचरे का सही निष्पादन सुनिश्चित किया जा सकता है, इस दिशा में भी विभागों को कार्य करना चाहिए।

बैठक में बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के तहत जिला में स्वास्थ्य सुविधाओं, जिला में बायो मेडिकल वेस्ट की मात्रा व उनका प्रबंधन, बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट के लिए ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित करने आदि बिंदुओं पर विस्तार पूर्वक चर्चा की गई। इसके अलावा जिला में चल रहे सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की कार्यप्रणाली, निर्माणाधीन प्लांटों की प्रगति आदि बिंदुओं पर चर्चा की गई।

बैठक में पर्यावरण संरक्षण से जुड़े अन्य मुद्दों पर भी विस्तार से चर्चा की गई। इस अवसर पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के एसडीओ वरूण गुप्ता ने बैठक का संचालन किया तथा विभिन्न विषयों का विस्तृत ब्यौरा पेश किया।