पटना: महागठबंधन सरकार ने आरक्षण का दायरा बढ़ा दिया है इसके खिलाफ पटना हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करके चुनौती दी गई है, इसलिए बिहार की सियासत गर्मा गई है। आरजेडी याचिका को लेकर बीजेपी पर खुलकर निशाना साँध रही है, तो जदयू ने इशारों में ही सही, बीजेपी को इसके लिए जिम्मेदार बताया है।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने बढ़े हुए आरक्षण के खिलाफ याचिका के लिए कांग्रेस और आरजेडी को दोषी ठहराया है। उन्होने बताया की आरक्षण सीमा बढ़ाने के विरुद्ध याचिका कांग्रेस-राजद की साजिश का नतीजा है। बिहार में जातीय सर्वे से लेकर आरक्षण बिल तक भाजपा ने सरकार का समर्थन किया था।
55 साल राज करने वाली कांग्रेस ने काका कालेकर समिति से मंडल आयोग तक हमेशा पिछड़ों-दलितों के आरक्षण का विरोध किया और राजद ने 2001 में पिछड़ों को आरक्षण दिये बिना बिहार में पंचायत चुनाव कराये थे। पिछड़ों को आरक्षण तब मिला, जब भाजपा और सहयोगी दलों की सरकार बनी, जब बिहार की कर्पूरी ठाकुर सरकार ने पिछड़े वर्गों को नौकरी में पहली बार 27 फीसद आरक्षण दिया, तब कांग्रेस सत्ता से बाहर थी और जनसंघ सरकार में शामिल था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सामान्य वर्ग के गरीबों को 10 फीसद आरक्षण देने के लिए आरक्षण की 50 फीसद की अधिकतम सीमा तोड़ कर जो रास्ता दिखाया, बिहार ने उसी का अनुसरण किया है। गरीब,पिछड़े और वंचित वर्गों के साथ खड़ी भाजपा को राजद-कांग्रेस बर्दाश्त नहीं कर पाते, इसलिए वे कोर्ट-कचहरी के जरिये राजनीति शुरू करते हैं।