चीड़ बहुमूल वन क्षेत्र जल्दी आग पकड़कर पूरे जंगल मे फैलाते है, इसलिए चीड़ की सुइयों के रेशे को एकत्रित करके दर्जनो किस्म की वस्तुएँ बनाकर आजीविका के साधन बनाए जाने चाहिए: डीएफओ रेणुकाजी उर्वशी ठाकुर
सतोन: वन विभाग ने एक दिवसीय शिविर का आयोजन किया तथा आरओ सराहन सतपाल शर्मा, वन रक्षक नीलम रिसोर्स पर्सन रहे, महिलाओं को चीड़ की सुइयों से रेशे निकालने के बारे में विस्तार से प्रशिक्षण दिया और पाइन सुइयों से प्राप्त विभिन्न उत्पादों, पाइन सुई, हस्तशिल्प वस्तुओं से बने रस्सियों को शिविर मे दिखाया गया है
डीएफओ रेणुकाजी उर्वशी ठाकुर ने शिविर मे आजीविका स्रोत के तोर पर पाइन सुई के महत्व पर प्रकाश डाला ओर बताया कि जंगलों मे अधिकतर आग चीड़ बहुमूल क्षेत्र मे लगती है। इनमे जंगलों का तल सूखे पत्तों की मोटी चटाई से ढका होता है और जल्दी आग पकड़कर पूरे जंगल मे फैला देता है।
यदि गर्म मौसम आने से पहले देवदार की सुइयों को जंगल से हटा दिया जाए और स्थानीय लोगों द्वारा आय के स्रोत के रूप में उपयोग किया जाए, तो जंगलों मे आग की घटनाएँ भारी मात्रा मे कम होने लगेगी, वन संपदा को नुकसान कम होगा ओर इससे रोजगार भी बढ़ेगा।