डेस्क: श्रीलंका ने एक बार फिर से ऐसा कदम उठाया है जिससे भारत के साथ उसके रिश्तों में तनाव आ सकता है। आर्थिक संकट के दौरान श्रीलंका की पैसे से लेकर राशन तक की मदद करने वाला श्रीलंका अब चीन के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है। चीन की नौसेना का, निगरानी करने में सक्षम एक युद्धपोत कोलंबो बंदरगाह पहुंचा है। लगभग एक साल पहले चीन का एक अन्य जासूसी जहाज जब श्रीलंका के एक रणनीतिक बंदरगाह आया था तब भी भारत की ओर से चिंता जतायी गई थी। हालांकि श्रीलंका सरकार ने तब भी उसे दरकिनार कर दिया था।
श्रीलंकाई नौसेना ने कहा है कि चीन की सेना ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का नौसैनिक युद्धपोत हाइ यांग 24 हाओ बृहस्पतिवार को कोलंबो बंदरगाह पहुंचा। जहाज की वापसी शनिवार को होनी है। उसने कहा, ‘कोलंबो पहुंचे 129 मीटर लंबे जहाज पर 138 लोगों का दल सवार है और इसकी कमान कमांडर जिन शिन के पास है। जहाज कल देश से प्रस्थान करने वाला है।’ शुक्रवार को मीडिया में आयी खबरों के अनुसार, भारत की ओर से चिंता जताए जाने के बाद श्रीलंका ने उसके आगमन में देरी कर दी थी।
‘डेली मिरर’ अखबार की खबर के अनुसार, ‘चीनी अधिकारियों ने इसके लिए पहले ही अनुमति मांगी थी, लेकिन भारत के प्रतिरोध के कारण श्रीलंका ने अनुमति देने में देरी की।’ श्रीलंका द्वारा भारतीय अधिकारियों को जानकारी दिये जाने के बावजूद, भारत अनुसंधान जहाज की श्रीलंका यात्रा को लेकर चिंतित रहा है। पिछले साल अगस्त में, चीन के बैलिस्टिक मिसाइल और उपग्रह ट्रैकिंग जहाज, ‘युआन वांग 5’ की इसी तरह की यात्रा पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जतायी थी।
चीन का उक्त जहाज श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह पहुंचा था। भारत को आशंका थी कि श्रीलंकाई बंदरगाह जाने के रास्ते में जहाज की प्रणाली से भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों की जासूसी करने का प्रयास किया जा सकता है। हालांकि, श्रीलंका ने काफी विलंब के बाद, जहाज को एक चीनी कंपनी द्वारा बनाए जा रहे हंबनटोटा बंदरगाह आने की अनुमति दी थी। इससे पहले खबरें आई थीं कि श्रीलंका के अंदर चीन नेवल बेस बनाना चाहता है।