शिमला : हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) में शनिवार शाम एसएफआई छात्र संगठन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री दिखाई। शिमला पुलिस के समझाने के बावजूद एसएफआई कार्यकर्ता डॉक्यूमेंट्री दिखाने पर अड़े रहे। इसी बीच शाम छह बजे भाषणबाजी के बाद पुस्तकालय के बाहर खुले में डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग शुरू हुई। करीब 17 मिनट तक डॉक्यूमेंट्री दिखाए जाने के बाद पुलिस हरकत में आई। मौके से प्रोजेक्टर के लिए लगाई गई स्क्रीन को वहां से हटा दिया गया। इस दौरान एसएफआई कार्यकर्ताओं और पुलिस के जवानों के बीच धक्का-मुक्की भी हुई। कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार, पुलिस प्रशासन और प्रदेश सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।
एसएफआई के राष्ट्रीय सह सचिव दीनित धैंटा ने कार्यकर्ताओं और पुस्तकालय के बाहर जुटे आम छात्रों को क्यूआर कोड वितरित कर मोबाइलाें और लैपटॉप पर डाॅक्यूमेंट्री को देखने के लिए कहा। उन्होंने एलान किया कि जरूरत पड़ी तो एसएफआई आने वाले समय में उपायुक्त कार्यालय और सचिवालय के बाहर भी इस डाॅक्यूमेंट्री को दिखाकर सच्चाई को सामने लाने का काम करेगी।
क्यूआर कोड वितरित करने के बाद 59 मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री को देखकर 7:45 बजे सभी कार्यकर्ता परिसर से बाहर निकले।
उल्लेखनीय है कि डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग के बंद किए जाने के बाद कार्यकर्ताओं ने पुलिस के अधिकारी को भी क्यूआर कोड उपलब्ध करवाया।
विश्वविद्यालय प्रशासन ने परिसर में बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को न दिखाए जाने को लेकर नोटिस जारी किए थे। कुलसचिव की ओर से जारी आदेशों में कहा गया था कि केंद्र सरकार ने इस डॉक्यूमेंट्री का सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्म पर प्रसारण पर प्रतिबंध लगाया है। डाॅक्यूमेंट्री दिखाने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई थी।