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ब्रिटेन का राजा बनते ही 14 देशों में चार्ल्‍स की हुकूमत, कुछ जगहों पर शाही शासन का विरोध

By Sushama Chauhan

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Summary

As soon as he became the king of Britain, Charles ruled in 14 countries, opposition to royal rule in some places

विस्तार से पढ़ें:

राष्‍ट्रमंडल देशों की लिस्‍ट में इस समय टोगो और गैबॉन नए सदस्‍य बने हैं, दोनों देश कभी भी ब्रिटेन के गुलाम नहीं रहे।

किंग चार्ल्‍स अब  ब्रिटिश साम्राज्‍य के उत्‍तराधिकारी हैं। उनके राजा बनने के बाद कैरिबियाई द्वीप में राजनेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उन्‍हें उनके राष्‍ट्राध्‍यक्ष के तौर पर हटाने की मांग शुरू कर दी है। इस ताजा घटनाक्रम के साथ ही राष्‍ट्रमंडल देशों में किंग चार्ल्‍स के नेतृत्‍व में राजशाही के भविष्‍य पर बहस शुरू हो गई है। बतौर महाराज चार्ल्‍स दुनिया के 56 देशों पर राज करेंगे। ये वो देश हैं जो राष्‍ट्रमंडल के तहत आते हैं। महारानी एलिजाबेथ की मृत्‍यु के बाद इन देशों में कई बदलाव हुए हैं। ये तमाम देश ब्रिटेन के उपनिवेश रह चुके हैं और यहां पर उन्‍होंने शासन किया था।

राष्‍ट्रमंडल देशों की लिस्‍ट में इस समय टोगो और गैबॉन नए सदस्‍य बने हैं। हालांकि ये दोनों देश कभी भी ब्रिटेन के गुलाम नहीं रहे। 56 देशों में से 14 राष्‍ट्रमंडल देश शाही शासन के तहत आते हैं और यहां पर अभी किंग चार्ल्‍स का ही शासन रहेगा। महारानी एलिजाबेथ ने सन् 1952 में जब राजगद्दी संभाली तो कुछ देशों को आजादी मिल गई थी तो कुछ ने राजशाही को मानने से इनकार कर दिया था। लेकिन एलिजाबेथ ने राष्‍ट्रमंडल को उस विकल्‍प के तौर पर देखा जिसके जरिए वह देशों को अपने करीब रख सकती थीं। साल 2018 में जब राष्‍ट्रमंडल देशों के नेताओं का सम्‍मेलन हुआ तो उन्‍होंने इस बात की पुष्टि की कि महारानी के निधन के बाद चार्ल्‍स इस संगठन के मुखिया होंगे।

ब्रिटेन का राजा बनते ही 14 देशों में चार्ल्‍स की हुकूमत, कुछ जगहों पर शाही शासन का विरोध

जिन 14 देशों पर चार्ल्‍स बतौर महाराज राज करेंगे उनमें यूके के अलावा एंटीगुआ और बारबूडा, ऑस्‍ट्रेलिया, बहामासा, बेलजी, कनाडा, ग्रेनेडा, जमैका, न्‍यूजीलैंड, पापुआ न्‍यू गिनी, सेंट किट्स और नेविस, सेंट लूसिया, सेंट विन्‍सेंट और ग्रेनाडाइंस, सोलोमन द्वीप और तुवालू शामिल हैं। मगर अब धीरे-धीरे कुछ देशों में विरोध की आवाज उठने लगी है। कुछ देशों ने तो स्‍वतंत्र गणतंत्र के तौर पर सामने के लिए आवाज उठाना भी शुरू कर दिया है।

जो देश अब बदलाव में रूचि रखते हैं, उनमें एंटीगुआ और बरबूडा, जमैका, सेंट विन्‍सेंट और ग्रेनाडाइंस शामिल हैं। जैसे ही चार्ल्‍स एंटीगुआ और बरबूडा के राजा बने, यहां के पीएम गैस्‍टॉन ब्राउन ने कहा वह एक जनमत संग्रह कराना चाहते हैं। ब्राउन की मानें तो अगले तीन सालों में यह जनमत संग्रह करा लिया जाएगा। पीएम ब्राउन के शब्‍दों में, ‘इस जनमत संग्रह से यह नहीं समझना चाहिए कि राजशाही और एंटीगुआ और बरबूडा के बीच मतभेद हैं। बल्कि यह पूरी आजादी की तरफ बढ़ाया गया एक कदम है।’

जमैका में भी इस तरह की आवाज उठने लगी है। यहां पर प्रधानमंत्री एंड्रयू होल्‍नेस ने कहा कि चार्ल्‍स के बेटे प्रिंस विलियम ने इस साल मार्च में कहा था कि यह देश एक आजाद राष्‍ट्र के तौर पर आगे बढ़ रहा है। एक सर्वे में जमैका के 56 फीसदी नागरिकों ने ब्रिटिश राजशाही छोड़ने के पक्ष में मतदान किया है। वहीं ऑस्‍ट्रेलिया, कनाडा, न्‍यूजीलैंड, पापुआ न्‍यू गिनी, सोलोमन द्वीप और तुवालू ने राजशाही के साथ ही रहने का मन बनाया है।

Sushama Chauhan

सुषमा चौहान, हिमाचल प्रदेश के विभिन्न प्रिंट,ईलेक्ट्रोनिक सहित सोशल मीडिया पर सक्रीय है! विभिन्न संस्थानों के साथ सुषमा चौहान "अखण्ड भारत" सोशल मीडिया पर मोजूदा वक्त में सक्रियता निभा रही है !