डेस्क: नासा एक बार फिर इंसानों को चांद पर भेजने से जुड़ा मिशन चला रहा है। इस बीच अमेरिकी सरकार के जवाबदेही कार्यालय (GAO) की ओर से गुरुवार को एक रिपोर्ट जारी की गई है। इसके मुताबिक नासा के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि आर्टेमिस प्रोग्राम का लॉन्च सिस्टम इतना महंगा है कि उसे ‘प्राप्त ही नहीं’ किया जा सकता। हालांकि ऐसा नहीं है कि रॉकेट को बनाया ही नहीं जा सकता। यह रिपोर्ट स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) के खर्च को बताती है। यह रिपोर्ट बताती है कि नासा के वरिष्ठ अधिकारी मौजूदा लागतों के स्तर पर इसे अस्थिर मानते हैं।
इसके अलावा रिपोर्ट में खर्च पर पारदर्शिता की कमी की भी बात कही गई है। हालांकि इस रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि किन अधिकारियों ने ऐसा दावा किया है। नासा का प्रवक्ता की ओर से अभी इस पर कोई टिप्पणी नहीं की गई है। GAO रिपोर्ट में लागत को कम करने पर जोर दिया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘नासा प्रबंधन से इनपुट के साथ SLS कार्यक्रम के अल्पकालिक और दीर्घकालिक रणनीतियों की रूपरेखा तैयार करते हुए एक रोडमैप विकसित किया है, जिससे उसे उम्मीद है कि भविष्य में लागत बचत होगी।’
क्या है आर्टेमिस मिशन
SLS रॉकेट नासा के आर्टेमिस मिशन के मूल में हैं। नासा का लक्ष्य है कि 2025-26 तक एक बार फिर इंसानों को चांद पर पहुंचाया जाए। इसके आगे भी आर्टेमिस के मिशन चलाए जाएंगे, जिनमें चंद्रमा पर स्थायी बेस बनाना भी शामिल है। SLS का पहला लॉन्च आर्टेमिस-1 2022 में लॉन्च हुआ था। वहीं नासा चांद के लिए अंतरिक्ष यात्री भेजने से जुड़ा मिशन 2024 में लॉन्च करेगा। इसके बाद नासा आर्टेमिस-3 मिशन के जरिए इंसानों को चांद पर पहुंचाएगा।
नासा ने खींची विक्रम की फोटो
नासा का लक्ष्य है कि चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा जाए। यहां पहुंचने वाला पहला देश भारत बना है, जिसने चंद्रयान 3 मिशन के जरिए अपना विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर चांद पर पहुंचाए हैं। 23 अगस्त को भारत का लैंडर चांद पर उतरा था। भारत के लैंडर की तस्वीर चंद्रयान-3 ने भी खींची है। नासा के लूनर रिकॉनसेंस ऑर्बिटर ने भी इसकी तस्वीर खींची है।