HomeOnline Quizस्वास्थ्यशिक्षा/नौकरीराजनीतिसंपादकीयबायोग्राफीखेल-कूदमनोरंजनराशिफल/ज्योतिषआर्थिकसाहित्यदेश/विदेश

----

16 फरवरी की हड़ताल को लेकर कालीबाड़ी हॉल शिमला में हुआ विशाल अधिवेशन का आयोजन 

By Sandhya Kashyap

Verified

Published on:

Follow Us

शिमला : सीटू से सम्बंधित होटल, आईजीएमसी, एसटीपी, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आउटसोर्स, रेहड़ी फड़ी तयबजारी, धोबी, विशाल मेगामार्ट, कालीबाड़ी मंदिर, मेंटल अस्पताल, टूरिस्ट गाइड, चूड़ेश्वर टैक्सी, शिमला पोर्टर, रेलवे पोर्टर, बीसीएस स्कूल, तारा हॉल स्कूल यूनियनों ने केंद्र सरकार की मजदूर, ट्रांसपोर्ट, कर्मचारी, किसान व जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ होने वाली 16 फरवरी की हड़ताल की तैयारियों के सिलसिले में कालीबाड़ी हॉल शिमला में विशाल अधिवेशन का आयोजन किया। अधिवेशन को सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, उपाध्यक्ष जगत राम, कोषाध्यक्ष बालक राम, दलीप, प्रताप चौहान, पूर्ण चंद, कपिल नेगी, प्रकाश शर्मा, बबलू चौहान, प्रवीण शर्मा, भूमि व शांति देवी ने सम्बोधित किया।

विजेंद्र मेहरा, जगत राम व बालक राम ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह पूँजीपतियों के साथ खड़ी हो गयी है व आर्थिक संसाधनों को आम जनता से छीनकर अमीरों के हवाले करने के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के नारे की आड़ में मजदूर विरोधी लेबर कोडों को थोपने, बारह घण्टे की डयूटी, फिक्स टर्म व मल्टी टास्क रोज़गार लागू करने, हड़ताल पर अघोषित प्रतिबंध लगाने व सामाजिक सुरक्षा को खत्म करने की नीति पर आगे बढ़कर यह सरकार इंडिया ऑन सेल, बंधुआ मजदूरी व गुलामी की थियोरी को लागू कर रही है। इस से केवल पूंजीपतियों,उद्योगपतियों व कॉरपोरेट घरानों को फायदा होने वाला है व गरीब और ज़्यादा गरीब होगा।मोदी की गारंटी, अच्छे दिन का वायदा करने वाली गरीब हितेषी का दम भरने वाली मोदी सरकार गरीबों को खत्म करने पर आमदा है। मजदूरों के 26 हज़ार रुपये न्यूनतम वेतन की मांग ज्यों की त्यों खड़ी है। आम भारतीय की आय पचास प्रतिशत से अधिक बढ़ने का दावा करने वाली मोदी सरकार को आईएलओ ने बेनकाब कर दिया है।

अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन आईएलओ ने हालिया जारी आंकड़ों में स्पष्ट किया है कि भारत के करोड़ों मजदूरों का वास्तविक वेतन महंगाई व अन्य खर्चों के मध्यनज़र घटा है। यह सरकार जनता को मूर्ख बनाने का कार्य कर रही है। महिला सशक्तिकरण व नारी उत्थान के नारे देने वाली केंद्र सरकार ने गरीबों व महिलाओं को हालिया अंतरिम बजट में आर्थिक तौर पर कमज़ोर किया है। सरकार ने मनरेगा के बजट में भारी उदासीनता दिखाई है। केंद्र सरकार ने पिछले पांच वर्षों में आंगनबाड़ी कर्मियों के वेतन में एक भी रुपये की बढ़ोतरी नहीं की है। पिछले पंद्रह वर्षों में मिड डे मील कर्मियों के वेतन में एक भी रुपये की बढ़ोतरी नहीं की गयी है। मजदूरों व कर्मचारियों के लिए खजाना खाली होने का रोना रोने वाली केन्द्र सरकार ने पूंजीपतियों से लाखों करोड़ रुपये के बकाया टैक्स को वसूलने पर एक शब्द तक नहीं बोला है। इसके विपरीत पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए कॉरपोरेट टैक्स को घटा दिया गया है। टैक्स चोरी करने वाले पूंजीपतियों को सरकार ने पिछले पांच वर्षों में लगातार संरक्षण दिया है।