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पहली बार ऐसे सुनाया फैसला, सहमति से मुस्लिम दंपती का तलाक

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दंपती का निकाह शिमला में मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ, असहजता के कारण दोनों के स्वभाव न मिलने से उनमें असंतोष बढ़ गया

शिमला: तलाक, तलाक बोलने के बजाय पहली बार अदालत में आपसी सहमति से मुस्लिम दंपती का तलाक हुआ है। शिमला की जिला कोर्ट चक्कर के पारिवारिक न्यायालय के जिला न्यायाधीश आरके शर्मा की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की ओर से मामले की पैरवी अधिवक्ता अंजू सरना विज ने की। याचिका लेकर आए मुस्लिम दंपती के बीच निकाह शिमला में मुस्लिम रीति-रिवाजों के अनुसार हुआ था। निकाह के बाद दोनों कुछ समय एक-दूसरे के साथ रहे, लेकिन असहजता के कारण दोनों के स्वभाव न मिलने से उनमें असंतोष बढ़ गया। दोनों पक्षों ने पर्सनल लॉ (शरीयत) मुस्लिम एक्ट 1939 की धारा 2 के तहत तलाक के लिए जिला कचहरी में याचिका दायर की। अदालत ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड को देखा।

दोनों पक्षों की अलग-अलग इच्छा जानने और उन्हें साथ रहने के लिए समझाया, लेकिन दोनों पक्ष तलाक के लिए अड़े रहे। दोनों पक्षों को छह महीने का समय भी दिया गया, लेकिन दोनों पक्ष साथ रहने के लिए राजी नहीं हुए। हालांकि तलाक होने की सूरत में एक-दूसरे के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने के लिए दोनों पक्ष तैयार हो गए। तमाम तथ्यों को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने दोनों पक्षों के बीच तलाक का फैसला सुनाया।