छठी से 10वीं कक्षा तक पढ़ाई जाने वाली नैतिक शिक्षा पुस्तक के पाठ्यक्रम में कई बदलाव, पुस्तक में नए अध्याय जोड़े जाएंगे, जिनमें कविताओं और कहानियों का संग्रह होगा
धर्मशाला: बच्चों के स्कूल बैग को अभिभावक नहीं, बल्कि बच्चा खुद उठाएगा। स्कूल बैग को बोझ समझने वाले बच्चों में बोध करवाया जाएगा कि स्कूल बैग को उठाना उनके लिए बोझ नहीं, बल्कि उनका कर्तव्य है। इसके लिए स्कूल शिक्षा बोर्ड छठी से 10वीं कक्षा तक पढ़ाई जाने वाली नैतिक शिक्षा पुस्तक के पाठ्यक्रम में कई बदलाव करेगा। पुस्तक में नए अध्याय जोड़े जाएंगे, जिनमें कविताओं और कहानियों का संग्रह होगा।कविताओं और कहानियों के माध्यम से विद्यार्थियों को संस्कारी बनाने की कोशिश की जाएगी, ताकि वे जहां भारतीय संस्कृति को समझ सकें और अपने से बड़ों का आदर भी करें। इसके लिए स्कूल शिक्षा बोर्ड ने पाठ्यक्रम तैयार कर लिया है। बोर्ड की ओर से तैयार किए गए पाठ्यक्रम को प्रदेश सरकार के साथ अगले सप्ताह होने वाली बैठक में साझा किया जाएगा। अगर प्रदेश सरकार से पाठ्य पुस्तक में बदलावों की अनुमति मिल जाती है, तो बोर्ड इसे आगामी शैक्षणिक सत्र 2022-23 से स्कूलों में शुरू कर दिया जाएगा।
देखा गया है कि बच्चों के स्कूल बैग को उनके अभिभावक ही उठा कर चलते हैं और बच्चे स्कूल बैग को बोझ समझते हैं। स्कूल शिक्षा बोर्ड नैतिक शिक्षा पाठ्य पुस्तक में बदलाव कर उन्हें इस तरह संस्कारी बनाने का प्रयास करेगा कि वे स्कूल बैग को बोझ नहीं, बल्कि अपना कर्तव्य समझें। – डॉ. सुरेश कुमार सोनी, अध्यक्ष, एचपी बोर्ड धर्मशाला।