सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2,015 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, ओर किसानों को खुले बाजार में गेहूं के दाम 2,200 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहे हैं
शिमला: प्रदेश में पहली बार गेहूं खरीद केंद्रों से ज्यादा दाम किसान खुले बाजार में ले रहे हैं। इससे खरीद केंद्रों में कम गेहूं पहुंच रहा है। प्रदेश सरकार ने 15 अप्रैल से किसानों से गेहूं खरीद के लिए 11 खरीद केंद्र खोले हैं, ताकि किसानों को फसल के अच्छे दाम मिल सकें। लेकिन, किसान खुले बाजार में गेहूं बेच रहे हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इन खरीद केंद्रों में एक पखवाड़े में सिर्फ 30 हजार क्विंटल गेहूं ही खरीदा जा सका है। सरकार अभी इन केंद्रों के माध्यम से एक माह और गेहूं की खरीद करेगी। बाजार प्रतिस्पर्धा के कारण प्रदेश के किसानों को फसलों के दाम अच्छे मिलने से उनका आर्थिक शोषण भी काफी हद तक रुका है।
सरकार ने वर्तमान में गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 2,015 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। अभी तक गेहूं की खरीद उम्मीद के अनुसार नहीं हो पाई। इसका प्रमुख कारण यही है कि सरकार के तय एसएसपी से ज्यादा दाम खुले बाजार में मिल रहे हैं। गेहूं की सफाई और सही ग्रेडिंग के बाद ही किसानों से फसल खरीदी जा रही है। इसके अलावा गेहूं खरीद से पहले कई अन्य औपचारिकताओं का भी झमेला रहता है। खुले बाजार में किसानों को खरीद केंद्रों से ज्यादा दाम मिल रहे हैं। किसानों को खुले बाजार में गेहूं के दाम 2,200 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहे हैं। गेहूं खरीदने से पहले कोई औपचारिकता किसानों से पूरी नहीं कराई जाती है। हिमाचल प्रदेश मार्केटिंग बोर्ड के प्रबंध निदेशक नरेश ठाकुर कहते हैं कि गेहूं खरीद केंद्र खुलने से किसानों को बाजार में एमएसपी से अधिक दाम मिलना किसानों के हित में है। खुले बाजार में एमएसपी से कम दाम किसानों को नहीं दिया जा सकता है।