जमीन खरीद-फरोख्त के लिए हुईं 15 रजिस्ट्रियों में 1.74 करोड़ रुपये की हेराफेरी पकड़ी गई है, रजिस्ट्री के समय जमीन का नक्शा न देना, सड़क से उचित दूरी न बताना, एनएच की जगह दूसरी सड़क दर्शाना, गलत सर्किल रेट बताने जैसी खामियां जांच के दौरान पाई गई हैं
चार तहसीलों में पकड़ा करोड़ का गड़बड़झाला
ऊना/मंडी/सिरमौर: ऊना जिले की सदर, मैहतपुर तहसील में जमीन खरीद-फरोख्त के लिए 15 रजिस्ट्रियों में 1.74 करोड़ रुपये की हेराफेरी पकड़ी गई है। एसडीएम सदर डॉ. निधि पटेल द्वारा जमीनों की रजिस्ट्रियों मे जांच के दौरान हेराफेरी सामने आई है। जांच में पाया गया कि खरीद-फरोख्त के दौरान राजस्व विभाग को रजिस्ट्री फीस कम देने के चक्कर में जमीनों की गलत जानकारियां दी गईं। अब विभाग खरीदारों को नोटिस देकर उनसे रिकवरी करने की तैयारी में है। उपमंडल के तहत मैहतपुर, ऊना सदर तहसील में वर्ष 2021 की जमीन रजिस्ट्रियां जांची गई हैं। निरीक्षण के दौरान 12 रजिस्ट्रियों में अनियमितताएं पाई गईं और इनमें 28 लाख का चूना राजस्व विभाग को लगाया गया है। शिकायत के आधार पर जांचे गए रजिस्ट्री के पुराने तीन मामलों में बड़े स्तर पर हेराफेरी सामने आई है। ये तीनों मामले ऊना सदर तहसील के हैं। इनमें एक मामले में 1.05 करोड़ रुपये, दूसरे में 28 लाख और तीसरे में 13 लाख रुपये की रिकवरी बनी है।
जमीन का नक्शा न देना, सड़क से उचित दूरी न बताना, एनएच की जगह दूसरी सड़क दर्शाना, गलत सर्किल रेट जैसी खामियां जांच के दौरान पाई गई हैं। बताया जा रहा है कि खरीदारों, दलालों सहित नोकरशाही की मिलीभगत से रजिस्ट्री फीस कम करने के लिए ऐसे हथकंडे अपनाए हैं इन मामलों के बाद एसडीएम सदर ने रजिस्ट्री क्लर्क और तहसीलदारों को सख्त हिदायत जारी कर दी है। घर के फोटो, सर्किल रेट, सड़क से दूरी व सड़क प्रमाण पत्र, नक्शे के साथ सभी दस्तावेजों की सही जांच करने के बाद जमीन की रजिस्ट्रियां की जाएं। मंडी में जमीनों की रजिस्ट्री के नाम पर एक करोड़ का गड़बड़झाला सामने आया है।
नक्शा, सर्किल रेट, एनएच की जगह दर्शाई दूसरी सड़क, जमीन की कीमतों के साथ स्टांप डियूटी दर्शाई गई है।
बल्ह, सुंदरनगर, जोगिंद्रनगर तहसील कार्यालयों में उपायुक्त सहित अधिकारियों ने औचक निरीक्षण के दौरान अनियमितताएं पकड़ी थीं। जांच के बाद जमीन के क्रय-विक्रय की रजिस्ट्रियों में करीब एक करोड़ की हेराफेरी का खुलासा हुआ है। प्रशासन ने पूरे मामले की रिपोर्ट राजस्व मंत्री महेंद्र सिंह व प्रधान सचिव (राजस्व) को भेज दी है। संबंधित तहसीलदारों, डीड राइटर्स और पटवारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए है। गड़बड़ियां किस तरह की हैं, कार्रवाई से पहले पूरी रिपोर्ट के खुलासे पर प्रशासन बताने को तैयार नहा जर नहीं आ रहा है ।
शिकायतों पर उपायुक्त मंडी अरिंदम चौधरी, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी राजीव कुमार व जिला राजस्व अधिकारी राजीव सांख्यान ने चारों तहसीलों का औचक निरीक्षण किया था। जमीन के क्रय-विक्रय से संबंधित रिकॉर्ड खंगालने पर अनियमितताएं पाई गईं। इसके बाद मामले की जांच के लिए उपायुक्त ने अधिकारियों की एक टीम गठित की थी। रिकॉर्ड खंगालने के बाद सरकारी राजस्व को करीब एक करोड़ की चपत लगने की बात सामने आई है। मामलों में अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से सरकारी राजस्व को चूना लगा है। इन मामलों में जमीन की कीमत कम बताकर और स्टांप कम लगाकर हेरफेरी को अंजाम दिया गया है। पूरे प्रकरण में शामिल तहसीलदारों व नायब तहसीलदारों , डीड राइटर्स व ग्रामीण राजस्व अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे जवाब तलब किया है। सबसे अधिक गड़बड़झाला सदर तहसील में बताया जा रहा है।
प्रस्तावित किशाऊ बांध स्थल जमीन की खरीद फरोख्त को लेकर करोड़ो रुपए का गड़बड़झाला हुआ
जांच मे पाया गया कि स्थानीय कर्मचारियों कि मिलीभगत है इसलिए आसानी से सभी रजिस्टरीय जिला से बाहरी लोगो को हो गई, यहाँ न खरीदने वाले को पताकि जमीन किससे खरीदी, न बेचने वाले को पता कि जमीन किसको बिकी
जून 2015 का एक दिन ऐसा भी है, जिस दिन दो दर्जन के करीब शिलाई तहसील मे रजिस्ट्रिया हुई है, रात को की गई यह सभी रजिस्ट्रियाँ जांच मे गलत पाई गई, जिनके अधिकतर इंतकाल आज तक नहीं हो पाए है।
प्रस्तावित किशाऊ बांध स्थल जमीन की खरीद फरोख्त मे गरीबो को निशाना बनाया गया ओर लगभग 30 रजिस्ट्रियाँ उस जमीन की करवाई गई जो सरकार ने भूमिहीनों को दान थी, कही माँ का हिस्सा, कही बुआ का हिस्सा तो कही हिस्से से अधिक जमीने बेच दी गई है। कई मामलों मे जमीन के मुख्या की जगह किसी अन्य व्यक्ति को खड़ा करके जमीन बिकवा दी गई है।
प्रदेश की जयराम सरकार मामले मे जांच करती है, ओर जब जांच मे करोड़ो का गड़बड़झाला सामने आया तो सरकार पर मामले को दबाने के आरोपोलग रहे है।
बर्ष 2015 से लेकर वर्ष 2018 के बीच जिला सिरमौर मे शिलाई तहसील के अंतर्गत प्रस्तावित किशाऊ बांध स्थल जमीन की खरीद फरोख्त को लेकर करोड़ो रुपए का गड़बड़झाला हुआ है। प्रस्तावित किशाऊ बांध परियोजना भारत का बड़ा प्रोजेक्ट है, ओर बांध की जद मे आने वाली जमीन मे लगभग 4 सौ बीघा जमीन बाहरी राज्यों के लोगो को गलत तरीके से बेची गई है प्रस्तावित किशाऊ बांध परियोजना मे लगभग 1500 हेक्टेयर से अधिक की भूमि प्रभावित होगी। इसलिए यहाँ तत्कालीन तहसीलदार व अन्य कर्मचारियों ने दलालों के साथ मिलकर घोटाला किया है! मामले मे जांच होने पर घोटाला पाया गया है।
जांच अधिकारी ने उचित कार्यवाही के साथ उच्च स्तरीय जांच की भी मांग की थी लेकिन जांच दायरे मे फसने वाले अधिकारी के वर्तमान सरकार व नेताओं के साथ अच्छी पेंठ होने के कारण किशाऊ बांध परियोजना वाले स्थल की जमीनी खरीद फरोख्त की फाइल जिला सिरमौर के उपायुक्त कार्यालय मे ही दबा दी गई है। हिमाचल मे जयराम सरकार प्रस्तावित किशाऊ बांध परियोजना स्थल जमीन की खरीद फरोख्त के दोरान सत्ता मे आई ओर गड़बड़झाला करने वालों को सलाखों के पीछे भेजेने के लिए वर्तमान सरकार ने ही जांच बिठाई थी, परंतु जांच के अंदर सेकड़ों खामिया आने के बाद भी रिजल्ट जीरों निकला है। अब देखना होगा कि ऊना ओर मंडी मे सरकार कितनी सख्ती से कार्यवाही अम्ल मे ला पाएगी।