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हाटीयों पर ही Haati हुए भारी: 22 सितंबर को हाटी कल्याण मंच की बारी

By Sandhya Kashyap

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15 सितंबर को केंद्रीय Haati समिति की शिलाई के रोनहाट में बैठक संपन्न होने के बाद अब 22 को हाटी कल्याण मंच शिलाई में करेगा बैठक

शिलाई : जिला सिरमौर के गिरीखंड क्षेत्र में राजनीति इतनी हावी है कि यहां 1960 से चल रही क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र करने वाली मांग वर्तमान में चाटुकार, मौका परस्त, चापलूस, नेताओं ने दोगली राजनीति की भेंट चढ़ा दी है। विधायक, मंत्रियों, संतरियों की उंगली पर चलने वाले छुटभैया नेताओं द्वारा घर के अंदर जहर घोलने का कार्य किया जा रहा है।

हाटीयों पर ही Haati हुए भारी: 22 सितंबर को हाटी कल्याण मंच की बारी
file photo

केंद्र सरकार के समक्ष प्रमुखता से गिरीखंड क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र की मांग रखने वाले केंद्रीय Haati समिति और गिरीखंड क्षेत्र के लोगों से जुड़ा है। दरअसल बीते रविवार को शिलाई विधानसभा के रोनहाट में केंद्रीय हाटी समिति की बैठक सम्पन्न हुई है। जिसमे क्षेत्र से जुड़े दर्जनों मुद्दों पर चर्चा की गई। साथ ही प्रदेश सरकार की करनी और कथनी पर केंद्रीय हाटी समिति ने खूब खरी खोटी भी सुनाई है।

 दरअसल केंद्रीय Haati समिति की बैठक संपन्न होने के बाद खोखले विकास का चोला पहनने वाले सत्तासीन नेताओं ने शिलाई में हाटी कल्याण मंच की बैठक का आयोजन 22 सितम्बर को शिलाई में रखा है। जिसमे बैठक का मुद्दा तो क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा दिलाने का रहेगा, लेकिन टेबल के नीचे परिस्थितियां क्या रहेगी यह किसी से छुपा नहीं है।

सत्तासीन लोगों द्वारा बनाया गया यह “हाटी कल्याण मंच” नया क्या रंग दिखाता है। यह तो बैठक के बाद ही पता चल पाएगा। क्षेत्र को गर्त में लेकर जाने का कार्य क्षेत्रीय नेताओं द्वारा बखूबी किया जा रहा है। वर्तमान में गिरिखंड क्षेत्र के लोगों की नजर शिलाई में होने वाली Haati कल्याण मंच की इस बैठक पर है।

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हाटीयों पर ही Haati हुए भारी: 22 सितंबर को हाटी कल्याण मंच की बारी
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उल्लेखनीय है कि राजनीति का शिकार हो रहे गिरीखंड क्षेत्र लगातार आर्थिक और सामाजिक तौर पर मजबूती कमजोर कर रहा है। क्षेत्र के लोग राजनेताओं के दोगलेपन की खामियां भुगत रहे है। कांग्रेस-भाजपा का चोला पहने मौकापरस्त नेता युवाओं का रोजगार छीनने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे है अब क्षेत्र के लोगो का गुस्सा फूटता जा रहा है और अबकी बार यह युवाओं के गुस्से की आंधी कई नेताओं का राजनीतिक भविष्य खाने वाली है।

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इस बार क्षेत्रीय युवाओं के सब्र का बांध टूट जाए तो प्रदेश ही नहीं यह आंदोलन केंद्र का सिंहासन हिला देने वाला है।

गिरिपार क्षेत्र, जो हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिला में स्थित है, एक जनजातीय क्षेत्र है जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता, सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। इस क्षेत्र में रहने वाले जनजातीय समुदाय को अपनी आजीविका के लिए संघर्ष करना पड़ता है, लेकिन केंद्रीय Haati समिति शिलाई ने उनकी जिंदगी में एक नया आयाम लाने का कार्य किया है। लेकिन केंद्रीय Haati समिति की अमूल्य मेहनत पर “घर का भेदी लंका ढाए” वाली कहावत चरितार्थ हो रही है।

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क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र का दर्जा दिलाने में राजनैतिक जहर इतनी बुरी तरह घोल दिया गया है कि इस लड़ाई के विपरीत खड़े लोगों को अपना नेता तो नजर आ रहा है लेकिन अपने घर में बेरोजगार होते युवा, पत्थरों की चट्टानों के नीचे कुबड़े होते शरीर आधी उम्र में ही दम तोड़ती क्षेत्र की पीढ़ी नहीं दिख रही है।

अलबत्ता क्षेत्र के लोगों का दशकों पुराना संघर्ष कब अपनी मंजिल पर पहुंचेगा, इसको देखने के लिए अभी अधिक समय लग सकता है। वर्तमान में राजनीतिक गोटियां खेलने वाले नेताओं की दोगलेपन वाली राजनेतिक चालें जारी है।