जानिये बुरांस फूल के ऐतिहासिक, औषधीय और सांस्कृतिक महत्व के बारे में, पढ़िए पूरी जानकारी

By Sandhya Kashyap

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बुरांस फूल : Rhododendron arboreum

अंकिता ठाकुर (हिमाचल डेस्क) : बुरांस फूल जिसका (वैज्ञानिक नाम: Rhododendron arboreum है ) हिमालयी क्षेत्रों में पाया जाने वाला एक सुंदर और उपयोगी वृक्ष है, जिसका फूल गहरे लाल रंग का होता है। इसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और नेपाल में खास तौर पर देखा जाता है। यह फूल न केवल पहाड़ों की खूबसूरती बढ़ाता है, बल्कि आयुर्वेदिक चिकित्सा, जैव विविधता और स्थानीय संस्कृति में भी अहम स्थान रखता है।

बुरांसफूल शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक

बुरांस के रोचक तथ्य पर बात की जाए तो यह फूल हिमालय के 1500 से 3600 मीटर की ऊँचाई पर पाया जाता है। बुरांस उत्तराखंड का राज्य वृक्ष है। बुरांस फूलों का रस अम्लीय और मधुर होता है, जिसे सिरप और शरबत बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। फूलों से प्राकृतिक रंग, जैम और जैविक चाय बनाई जाती है। बुरांस का फूल शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।

बुरांस फूल  का  ऐतिहासिक महत्व

ऐतिहासिक महत्व को देखा जाए तो बुरांस के फूल का उल्लेख प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में औषधीय पौधे के रूप में मिलता है। पहाड़ी समुदायों में इसे शक्ति और पवित्रता से जोड़ा जाता है। लोक कथाओं में इसे देवताओं के फूल के रूप में वर्णित किया गया है। ब्रिटिश शासन के दौरान, अंग्रेजों ने इसकी सुंदरता को देखते हुए इसे बगीचे में उगाने की शुरुआत की थी

बुरांस का आयुर्वेद में योगदान

वर्तमान समय के अनुसार आयुर्वेद में बुरांस का योगदान बेहद अहम माना जा रहा है। बुरांस के फूलो को आयुर्वेद में दर्जनो रोगों का इलाज के लिए प्रयोग किया जाता है। बुरांस का रस रक्तचाप को नियंत्रित करता है और हृदय की कार्यक्षमता को सुधारता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो हृदय को स्वस्थ रखते हैं। बुरांस की पत्तियों का काढ़ा गठिया और जोड़ों के दर्द में फायदेमंद होता है।

इसके सेवन से सूजन कम होती है और मांसपेशियों में आराम मिलता है। इसका शरबत पेट के लिए लाभकारी होता है और अपच की समस्या में राहत देता है। इसका शरबत पेट के लिए लाभकारी होता है और अपच की समस्या में राहत देता है। यह शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालने में सहायक है।

बुरांस के फूलों का अर्क त्वचा को निखारता है और झुर्रियों को कम करता है। इसके एंटीबैक्टीरियल गुण त्वचा संक्रमण और एक्जिमा जैसी समस्याओं से बचाते हैं। इस तरह बुरास का फूल हृदय रोग, जोड़ों के दर्द, पाचन तंत्र, त्वचा और बालों के लिए बेहद लाभकारी व उपयोगी साबित हो रहा है।

बुरांस का औषधियों में प्रयोग

बुरास के पेड़ ओर उस पर लगे मनमोहक फूलों का पहाड़ों की सुंदरता और पर्यावरण में महत्वपूर्ण योगदान है। बुरांस का पेड़ हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह मिट्टी को कटाव से बचाता है और जल-स्रोतों की रक्षा करता है। वसंत में इसकी लालिमा पहाड़ों को मंत्रमुग्ध कर देती है। यह मधुमक्खियों और पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण खाद्य स्रोत है। मधुमक्खियों और पक्षियों को बुरांस के फूलों का रस बेहद स्वादिष्ट लगता है। 

दवाइयों में बुरांस के फूल का महत्वपूर्ण उपयोग है। बुरांस से बनने वाली औषधियों का उपयोग असंख्य रोगों के इलाज में किया जाता है: बुरांस के फूलों से बनी हर्बल टी – हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है। इसका तेल और मलहम – दर्द निवारक और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर रहता है।

बुरास के फूलों से बना सिरप और जूस – शरीर को ठंडक और ऊर्जा प्रदान करता है। बुरांस के फूलों का गठिया बीमारी के लिए लेप बनाया जाता है – जो मरीज के दर्द और सूजन को कम करता है। बुरांस का फूल केवल एक फूल नहीं, बल्कि आयुर्वेद और पारंपरिक चिकित्सा का अभिन्न हिस्सा है।

इसकी सुंदरता, औषधीय गुण और सांस्कृतिक महत्व इसे एक बहुमूल्य धरोहर बनाते हैं। इस फूल के संरक्षण से न केवल जैव विविधता बनी रहेगी, बल्कि इसका आर्थिक और औषधीय लाभ भी जारी रहेगा। तो अगली बार जब आप हिमालयी क्षेत्र में जाएं, तो बुरांस के फूलों का आनंद लेना न भूलें!  

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