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Phir Aayi Hasseen Dillruba Review:  ना कहानी में रवानगी ना मेकिंग में दीवानगी, देखने से पहले फौरन पढ़ लें रिव्यू

By Sushama Chauhan

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Phir Aayi Hasseen Dillruba Review: साल 2021 में रिलीज हुई फिल्म हसीन दिलरुबा जब रिलीज हुई थी, तो वह कंटेंट अलग सा लगा था। पल्प फिक्शन यानी लुगदी साहित्य पर कई कहानियां हिंदी सिनेमा में बनी हैं। अब हसीन दिलरुबा की कहानी को आगे बढ़ाया गया फिर आई हसीन दिलरुबा में।

Phir Aayi Hasseen Dillruba Review:  ना कहानी में रवानगी ना मेकिंग में दीवानगी, देखने से पहले फौरन पढ़ लें रिव्यू
Phir Aayi Hasseen Dillruba Review

Phir Aayi Hasseen Dillruba Review: फिर आई हसीन दिलरुबा देखने के बाद जेहन में पहली लाइन यही आई कि आखिर आने की जरूरत ही क्या थी? हसीन दिलरुबा 2021 में ओटीटी पर आई थी। फिल्म ने रहस्य रोमांच की एक दुनिया रची, जिसमें छोटा शहर था, पल्प फिक्शन राइटर था, इश्क था, बेवफाई थी और कत्ल था। हसीन दिलरूबा की कहानी काफी पकी हुई थी और कुछ कमियों के बावजूद दर्शकों को बांधकर रखने में कामयाब हो पाई थी। लेकिन जब हसीन दिलरूबा वापस आई तो ना तो उसमें पहले जैसी रवानगी बची थी और ना मेकर्स में इसे हद से आगे ले जाने की दीवानगी।

Phir Aayi Hasseen Dillruba Review की कहानी

कहानी पिछले भाग से ही आगे बढ़ती है, जहां पुलिस की आंखों में खुद को मरा हुआ साबित करने वाला रिशू अपने प्यार रानी के साथ शहर से भागकर आगरा में लुका-छिपी की जिंदगी जी रहा है। रिशू और रानी हमेशा के लिए एक होने के लिए यहां अपनी पहचान छिपाकर अलग-अलग जिंदगी काट रहे हैं। इनकी कोशिश है कि वे किसी तरह विदेश रवाना हो जाएं। इधर, इस नए शहर में दोनों को दो नए आशिक भी मिल जाते हैं। रिशू की मकान मालकिन पूनम हर वक्त जिस्मानी रिश्ता बनाने के लिए उस पर दबाव डालती है, तो सीधा साधा कंपाउंडर अभिमन्यु रानी के प्यार में सिर से पांव तक गिरफ्तार है।

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Phir Aayi Hasseen Dillruba Review: कैसी है फिल्म

तापसी पन्नू के इस सीक्वल ने दिखाया है कि जरूरी नहीं फिल्मों के सीक्वल हर बार खराब ही हो। कहानी को आगे भी अच्छे से पिरोया जा सकता है और यहां वो हुआ भी है। हालांकि कुछ जगह आपको ऐसा महसूस हो सकता है कि फिल्म थोड़ी स्लो चल रही है लेकिन आगे आने वाले ट्विस्ट आपको सीट से उठने नहीं देंगे।हम सब जानते हैं हसीन दिलरुबा और फिर आई हसीन दिलरुबा की रानी दिनेश पंडित की किताबों की फैन हैं। लेकिन हो सकता है तापसी पन्नू का डायलॉग “पंडित जी कहते हैं…” आपको बार बार सुनने में अच्छा ना लगे।

इस बार फिल्म में इंटीमेट सीन्स पिछली बार के मुकाबले कम देखने को मिली है। कहानी को इस सिरे पर छोड़ा गया है जहां उसे आगे बढ़ाने की गुंजाइश बाकी रहे। फिल्म में किशोर कुमार की आवाज में बज रहा गाना ‘एक हसीना थी’ फिल्म के बेहतरीन हिस्सों में से एक है। पार्ट 1 और पार्ट 2 से ये साफ पता चल रहा है कि ‘फिर आई हसीन दिलरुबा’ के मेकर्स इसके लिए एक लॉयल ऑडियन्स बनाना चाहते हैं जो इसके हर पार्ट की कहानी को याद रखते हुए अगला पार्ट देखना चाहे।

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Phir Aayi Hasseen Dillruba Review: डायरेक्शन बना सिरदर्द

निर्देशक जयप्रद देसाई की पकड़ पहले हाफ पर मजबूत है, लेकिन दूसरे हाफ में ढीली पड़ जाती है। रास्तों के सीसीटीवी फुटेज देखकर, दिनेश पंडित की किताब पढ़कर, काल रिकार्ड्स निकालकर घटना का पता लगाने वाले पुलिस के सीन हास्यास्पद लगते हैं। पंडित जी कहते हैं कि चलन से ना चाल से प्यार करने वालों को परखों उनके दिल के हाल से… जैसे कई संवाद मूल फिल्म के फील को बनाए रखते हैं।

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