Auron Mein Kahan Dum Tha Review: अजय देवगन और तब्बू फिर एक बार ‘औरों में कहां दम था’ में एक साथ नजर आए। उनकी ये फिल्म 2 अगस्त 2024 को रिलीज हो गई है। अजय और तबू के साथ-साथ इस फिल्म में महेश मांजरेकर की बेटी साई मांजरेकर और शांतनु माहेश्वरी भी अहम भूमिका में नजर आ रहे हैं।
Auron Mein Kahan Dum Tha Review की कहानी
यह लवस्टोरी फिल्म साल 2001 से 2024 के पीरियड में एक कपल कृष्णा (अजय देवगन) और वसुधा (तब्बू) की मोहब्बत की दास्तान कहती है। मुंबई की एक चॉल में एक-दूसरे के पड़ोसी कृष्णा और वसुधा एक दूसरे को बेहद चाहते हैं। कृष्णा को कंपनी की ओर से जर्मनी जाने का ऑफर मिला है। वे दोनों अपने सुनहरे भविष्य के सपने बुन रहे हैं। कुछ दिनों पहले कृष्णा का अपने ही इलाके में रहने वाले कुछ बदमाशों से झगड़ा हुआ था। उसे सबक सिखाने के लिए वे बदमाश एक रात अकेली घर लौट रही वसुधा को निशाना बनाते हैं। वसुधा की चीख सुनकर कृष्णा वहां पहुंचता है और गुस्से में दो बदमाशों को मौत के घाट उतार देता है।
कृष्णा को उम्र कैद की सजा हो जाती है। वसुधा अब कृष्णा की रिहाई का इंतजार करना चाहती है, लेकिन वह उसे किसी ओर से शादी करने के लिए मना लेता है। अच्छे व्यवहार की वजह से कृष्णा की सजा दो साल कम हो जाती है। जेल से बाहर आने पर उसका सामना वसुधा से होता है। अभिजीत (जिमी शेरगिल) से शादी कर चुकी वसुधा आज भी कृष्णा को भुला नहीं पाई है। लेकिन अब कहानी में आगे क्या होता है, इस लव स्टोरी का अंजाम जानने के लिए आपको सिनेमाघर जाना होगा।
Auron Mein Kahan Dum Tha Review: कहां चूके नीरज पांडेय
नीरज जासूसी या थ्रिलर कंटेंट बनाने के महारथी हैं। पहली बार उन्होंने लव स्टोरी बनाई है। हालांकि, लव स्टोरी की पिच पर वह पूरी तरह मिसिंग नजर आते हैं। मुंबई की चॉल की कहानी होने के बावजूद पात्र और परिवेश सीमित दायरे में बंधे दिखते हैं, जबकि चॉल वाली कई फिल्मों में वहां के माहौल को बेहतरीन तरीके से दर्शाया गया है।
Auron Mein Kahan Dum Tha Review: कहानी दो काल खंड़ों में हैं। उसमें 23 साल का अंतराल है। लिहाजा नीरज ने युवावस्था के लिए उस उम्र के कलाकारों को कास्ट किया है। कृष्णा के युवा वर्जन को शांतनु महेशवरी ने निभाया है। वहीं, वसुधा की युवावस्था की भूमिका को सई मांजरेकर जीवंत करती हैं।
Auron Mein Kahan Dum Tha Review: एक्टिंग
अजय देवगन हमेशा की तरह अपनी आंखों से सस्पेंस क्रिएट करने की पूरी कोशिश करते हैं और कर भी देते हैं। उनकी एक्टिंग बढ़िया है लेकिन जब कहानी में ही दम नहीं होगा तो अजय देवगन आंखों से तो फिल्म चला नहीं देंगे। तब्बू के साथ भी यही है, काम अच्छा है, वो कमाल की एक्ट्रेस हैं, यहां भी पूरी कोशिश करती हैं लेकिन कहानी में दम नहीं। जिम्मी शेरगिल को देखकर लगा था ये हैं तो कुछ बवाल कटेगा लेकिन उन्हें वेस्ट किया गया. शान्तनु और सई की एक्टिंग ठीक है।