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NH707, मिनस भूस्खलन हादसे में एक साथ भुजे तीन चिराग, मां और पत्नी का हुआ रो रो कर बुरा हाल, एक आज तो दो कल होंगे पंचतत्व में विलीन

By Sushama Chauhan

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अशोक, जितेंद्र” परिवार के पालनहार नही रहे, तो काहन चन्द के साथ बुझ गया परिवार का इकलौता चिराग, एक साथ उजड़े दो राज्यों के तीन परिवार

कंवर ठाकुर / रोनहाट: सोमबार सुबह राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पर मीनस के समीप हुए भूस्खलन ने बेटियों के सिर से पिता का साया उठा लिया, घर के इकलौते चिराग को उजाड़ दिया और एक परिवार में घर के पालनहार को ही उठा लिया है, दर्दनाक हादसे ने हिमाचल, उत्तराखंड व राजस्थान प्रदेशों को झझोड़ कर रख दिया है

जानकारी के मुताबिक राजस्थान, जिला चूरू निवासी अशोक, सड़क पर गिरे मलबे को साफ कर रहे थे, तो जितेंद्र सिंह जो गांव गिरवार, राजस्थान के ही रहने वाले थे वह अशोक कुमार का मलबा हटाने में सहयोग कर रहे थे , कम्पनी के अन्य कर्मचारियों ने राजमार्ग पर आवाजाही के लिए वाहनों को रोककर रखा हुआ था, इसी दौरान उत्तराखंड, जिला देहरादून के गांव हटाल निवासी, टेक्सी चालक काहन चंद मौके पर अपनी टेक्सी लेकर पहुंचते ही गाड़ी से बाहर निकले और सड़क के मलबे का जायजा लेने के लिए कार्य कर रही एलएनटी मशीन की तरफ गए, उसी दौरान जितेंद्र सिंह ने काहन चंद को यह कहकर रोकने की कोशिश की, कि ऊपर से भूस्खलन हो रहा है इसलिए रुक जाएं, दोनों ही व्यक्ति एकदूसरे से बात करते हुए आगे निकले, और देखते ही देखते भूस्खलन से पहाड़ी का टुकड़ा गिरा और तीनों व्यक्ति मलबे की चपेट में आकर मौत के शिकार हो गए, अन्य मजदूरों को कोई चोटें नही आई है, एलएनटी मशीन चला रहे चालक ने छलांग लगाकर अपनी जान बचाई है।

काहन सिंह अपने पीछे पत्नी और दो बेटियों को छोड़ गया है, इनका पालन पोषण करने वाला अब परिवार में कोई नहीं है, अशोक कुमार घर का इकलौता चिराग था, जिसके सिर पर पूरे परिवार को पालने का बोझ था, युवा बेटे के जाने से अशोक का परिवार भगवान भरोसे हो गया है, जबकि जितेंद्र सिंह पर परिवार के साथ साथ रिश्तेदारी की भी पूरी जिम्मेदारियां थी, दो पल में तीन परिवार उजड़ गए है, काहन चंद की पत्नी, अशोक की मां और जितेंद्र की धर्मपत्नी का रो रो कर बुरा हाल है, भगवान को कोसते हुए परिवार का पालन केसे करेगी, इसकी चिंता उन्हें बार बार सता रही है।

राष्ट्रीय राजमार्ग 707 पर सड़क निर्माण कर रही कम्पनी के डायरेक्टर नरेंद्र धत्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया, कि अशोक और जितेंद्र उनकी कंपनी में रीढ़ का कार्य कर रहे थे, उनके जाने से अब कम्पनी अधूरी है, बताते है कि इनके परिवार अकेले नहीं है, हम उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े है, मृतकों के परिवारों को वह अपने परिवार से भी अधिक प्रिय है,और सुख दुख में उनके परिजनों के साथ खड़े है और हमेशा रहेंगे।

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