अद्भूत, अकल्पनीय है कर्नल संजय शांडिल का जीवन, कुशल सैन्य अधिकारी के साथ कुशल तबला वादक एवं भारतीय शास्त्रीय संगीत के है शौकीन
Himachal News: आपको ऐसी शख्सियत से परिचित करवाने जा रहे है जिनकी कर्तव्यनिष्ठा, सेवाभाव, उत्कृष्टता, वीरता और शौर्य के चर्चे हिमाचल ही नहीं बल्कि पूरे देश में जाने जाते है। भारतीय सेना के अंदर इनके सानिध्य में देश को सैकड़ों जवान मिले है। इनकी शिक्षा, दीक्षा का असर भारतीय फौजियों में इतना कूट- कूट कर भरा है कि इनकी ट्रेनिंग द्वारा तैयार हुए एक-एक फौजी जवान सैकड़ों दुश्मनों को धूल चटाने के लिए काफी है।
इन्होंने स्कूल में चल रहे NCC से लेकर भारतीय सेना में जवानों को पहुंचाने का सफर देश के अलग-अलग हिस्सों में बखूबी निभाया है। इनका कुशल नेतृत्व युवा पीढ़ी को जहां देश प्रेम का सन्देश दे रहा है। वहीं इनकी कार्यकुशलता, भारतीय आर्मी से लेकर सिविलियन तक किसी से छिपी नहीं है। “यह भारतीय फौज में कर्मठ और निष्ठावान व्यक्तित्व के धनी, कर्नल संजय शांडिल है”। जिनकी काबिलियत का लोहा इतना मजबूत है कि जिसको पिघलाने का दम दुश्मनों की भट्ठियों में नहीं है।
छोटी मुलाकात में जानिए कर्नल संजय शांडिल से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में
कर्नल संजय शांडिल ने आर्मी में शामिल होने के बाद देश और समाज के अंदर नए आयाम स्थापित किए है। कर्नल संजय शांडिल एक प्रतिष्ठित नागरिक हैं, इनका योगदान न केवल सेना में बल्कि समाज में भी अद्वितीय है। इनकी जीवनी में एक सैन्य परिवार और समाज के प्रति अमूल्य योगदान है।
भारतीय सेना में शामिल होने के लिए की कड़ी मेहनत: 1995 में 82 आर्मर्ड रेजीमेंट में शामिल हुए कर्नल संजय शांडिल
कर्नल संजय शांडिल का जन्म सैन्य परिवार में हुआ है। इनके पिता, कर्नल धनीराम शांडिल भी आर्मी से सेवानिवृत्त है और वर्तमान में हिमाचल प्रदेश सरकार के अंदर प्रदेश स्वास्थ्य मंत्री पद पर आसीन होकर हिमाचलियों के स्वास्थ्य की देखभाल का दायित्व निभाकर जनसेवा कर रहे है। पिता के देशप्रेम और कर्तव्यनिष्ठा को देखते हुए बड़े हुए संजय शांडिल को माता, पिता का सानिध्य प्राप्त है। इस कारण इनका बचपन भारत के विभिन्न हिस्सों में बिता, जहां से इनको देश की आर्थिकी और भारतीय जीवन के रहन-सहन की खट्टी मीठी कठिनाइयों का ज्ञान प्राप्त हुआ।
यह ऐसे पल रहे जब इन्होंने बचपन वाले जीवन के सफर में अमूल्य अनुभव प्राप्त किए और भारतीय सेना के माध्यम से देश सेवा करने की मन में ठानी। इन्होंने लक्ष्य प्राप्त करने के लिए रात दिन एक कर दिया। कड़ी मेहनत के बाद संजय शांडिल 10 जून 1995 को भारतीय 82 आमर्ड रेजीमेंट में शामिल होकर देश सेवा में जुट गए।
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रोचक है कर्नल संजय शांडिल के जीवन का सफर: संगठनात्मक क्षमता के साथ गरीबों, बच्चों, वृद्धों की सहायता के लिए रहते है तत्पर
कर्नल संजय शांडिल के पास सैन्य योजना, प्रशासन, उपकरण प्रबंधन, घटना प्रबंधन, नेतृत्व संयोजन और समन्वय में उत्कृष्टता होने के नाते सेना में अहम जिम्मेदारियां रही है। इन्होंने तीन कमांड अवधियाँ संभाली हैं। इन्होंने रांची में 82 आर्मड रेजिमेंट को कमांड किया और भारतीय फौज के लिए विशेष योगदान देकर नए आयाम स्थापित किए। फिर 37 एनसीसी बटालियन झारखंड का नेतृत्व किया और वर्तमान में हिमाचल प्रदेश गर्ल्स बटालियन एनसीसी को कमांड कर रहे हैं।
इनकी सामाजिक गतिविधियों में विशेष रूचि है। इनके अंदर अकल्पनीय टीम निर्माण और प्रेरणा की क्षमता है। यह विभिन्न समाजसेवा कार्यक्रमों का आयोजन करवाते रहे है, जिसके माध्यम से देश के अंदर युवाओं सहित देशवासियों के अंदर उत्कृष्टता ऊर्जा का संचार पैदा हो रहा है। कर्नल संजय शांडिल गरीबों, बच्चों, वृद्धों की सहायता में सदैव तत्पर रहते हैं। और देश की सुरक्षा के साथ विकास में मिल का पत्थर साबित हुए है।
समाजसेवा, कुशल नेतृत्व और प्राकृतिक प्रेम के धनी है संजय शांडिल: संगीत और सांस्कृतिक प्रेम के है शौकीन
Col. Sanjay Shandil प्राकृतिक खेती के प्रति खास रुचि रखते हैं। इनका प्राकृतिक संरक्षण के प्रति उत्साह अद्भुत है। संजय शांडिल कुशल तबला वादक हैं, और भारतीय शास्त्रीय संगीत के बेहद शौकीन हैं। सामाजिक प्रेम इनके व्यक्तित्व की एक महत्वपूर्ण गुणवत्ता है। इन्होंने समाज के विकास और समृद्धि के लिए अनेक पहल की हैं। इनका जीवन एक प्राकृतिक उत्साह की तरह है, जहां यह प्रकृति के साथ हर्ष और समृद्धि से संवाद करते नजर आते हैं।
संजय शांडिल की शिक्षा में उत्कृष्टता: परिवार और बेटी से करते है अकल्पनीय प्रेम
Col. Sanjay Shandil ने 12वीं की पढ़ाई एडवर्ड स्कूल शिमला से पूरी की है। इन्होंने हिमाचल प्रदेश के वाईएस परमार हॉर्टिकल्चर एवं वनस्पति विज्ञान विश्वविद्यालय नौणी से चार वर्षीय बीएससी वन संवाद की डिग्री प्राप्त हासिल की है। इसके अतिरिक्त सैन्य करियर के साथ-साथ एचआर और वित्त में एमबीए की डिग्री प्राप्त की है। जिसके लिए उनको स्वर्ण पदक से अलंकृत किया गया है।
कर्नल संजय शांडिल का वर्ष 1997 से हुआ दाम्पत्य जीवन शुरू: बेटी शुभी है पिता की तरह नेकदिल और बहादुर
वर्तमान में Col. Sanjay Shandil अपनी सैन्य सेवाओं के साथ साथ पीएचडी की तैयारी में जुटे हैं। भारतीय फौज में भर्ती होने के बाद दिसंबर 1997 में यह पूनम शांडिल के साथ परिणय सूत्र में बंध गए। इनके पास एक बेटी है जिनका नाम शुभी है। बेटी शुभी भी पिता की तरह बहादुर और नेकदिल व्यक्तित्व की धनी है। कर्नल संजय शांडिल तमाम जिम्मेदारियों के साथ परिवार का विशेष ध्यान रखते है।