हिमाचल में लोकसभा की चार सीटों के लिए सातवें चरण में 1 जून को होगा मतदान
हिमाचल प्रदेश में लोकसभा की चार सीटों के लिए अंतिम एवं सातवें चरण में 1 जून को मतदान होगा। इसी दिन छह विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव भी करवाया जाएगा। ये छह विधानसभा क्षेत्र वही हैं, जहां से कांग्रेस ने छह बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किया है। 4 जून को नतीजे घोषित हो जाएंगे।
हिमाचल प्रदेश में 7 मई को चुनाव की अधिसूचना जारी होगी। लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन पत्र दाखिल करने की आखिरी तारीख 14 मई तय की गई है। नामांकन पत्रों की छंटनी 15 मई को होगी। 17 मई को नाम वापस लिए जा सकेंगे। छह विधानसभा क्षेत्रों के उपचुनाव के लिए भी यही प्रक्रिया रहेगी।
शनिवार को राज्य मुख्य चुनाव अधिकारी मनीष गर्ग ने प्रेस वार्ता के दौरान चुनाव कार्यक्रम की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि चुनाव का एलान होते ही प्रदेश में आदर्श चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गई है। मुख्य चुनाव अधिकारी मनीष गर्ग ने बताया कि कांग्रेस के अयोग्य घोषित छह विधायक भी उपचुनाव लड़ सकेंगे। चुनाव लड़ने के लिए अयोग्यता के तहत निर्वाचन आयोग ने जो मापदंड निर्धारित किए हैं, उनमें ये अयोग्य विधायक नहीं आते। उन्होंने बताया कि धर्मशाला में 83,718, लाहौल-स्पीति में 25,724, सुजानपुर में 76,830, बड़सर 88,432, गगरेट में 84,887 और कुटलैहड़ में 87,857 मतदाता उपचुनाव में वोट डालेंगे हैं।
हिमाचल में लोकसभा चुनावों में कुल 56,38,422 मतदाता वोट डालेंगे। इनमें 55,72,705 सामान्य, 65,682 सेवा अर्हता और 35 तृतीय लिंग मतदाता शामिल हैं। संवेदनशील मतदान केंद्रों पर अतिरिक्त पुलिस बल तैनात होगा। प्रत्याशी अपने संसदीय क्षेत्र में 95 लाख तक खर्च कर सकेंगे। राज्य मुख्य चुनाव अधिकारी ने बताया कि साल 2019 में लोकसभा चुनाव में हिमाचल प्रदेश की मत प्रतिशतता 72.42 फीसदी थी, विधानसभा चुनावों में मत प्रतिशतता 76 फीसदी थी। इस बार लोकसभा चुनाव में मत प्रतिशतता 76 फीसदी पहुंचाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने हिमाचल के लोगों से चुनाव में बढ़ चढ़कर भाग लेने का आग्रह किया है।
हिमाचल में
लोकसभा चुनाव में इस बार 56,38,422 मतदाता मतदान करेंगे। जिसमे 1,38,918 मतदाता 18 से 19 साल के, 10,40,756 मतदाता 20 से 29 साल के है। चुनाव में 7,990 मतदान केंद्र बनाए गए है जिसमे 50,000 मतदान कर्मी होंगे। हिमाचल में 425 संवेदनशील केंद्र है।
हिमाचल के बागी विधायकों के छह क्षेत्रों में विधानसभा उपचुनाव घोषित किए गए हैं, वहीं दूसरी तरफ अयोग्य घोषित विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका सर्वोच्च न्यायालय में दायर की है। विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने व्हिप जारी होने के बावजूद वित्त विधेयक पारित करते वक्त सदन में उपस्थित न होने पर इन विधायकों पर कार्रवाई की थी।
लोकसभा चुनाव में इस बार प्रदेश के 17 विधानसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों की जीत की चाबी महिलाओं के हाथ में रहेगी। संसदीय क्षेत्र हमीरपुर के आठ, मंडी के छह, कांगड़ा के दो और शिमला संसदीय क्षेत्र के एक विधानसभा क्षेत्र में पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या अधिक है। प्रदेश के 11 ऐसे विधानसभा क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां पुरुष मतदाताओं की संख्या महिलाओं से मात्र 50 से 500 तक ही अधिक है। चारों संसदीय क्षेत्रों में 17-17 विधानसभा क्षेत्र आते हैं।
उपचुनाव में भाजपा को छह, कांग्रेस को चाहिए एक सीट
बहुमत के लिए उपचुनाव में भाजपा को सभी छह सीटें जीतने की जरूरत होगी। केवल तभी संख्या बल 31 हो पाएगा, क्योंकि वर्तमान में भाजपा के विधायक 25 हैं। 3 निर्दलीय विधायक भी भाजपा का साथ देंगे तो भाजपा के पास 34 विधायक हो जाएंगे। ऐसे में विधानसभा में कांग्रेस के विधायक बेशक 34 होंगे, मगर विधानसभा अध्यक्ष का वोट केवल टाई होने की स्थिति में गिने जाने पर कांग्रेस विधायकों का संख्या बल 33 रह जाएगा। वहीं, कांग्रेस छह में से एक सीट भी जीतती है तो इसका संख्या बल 35 हो जाएगा और यह बहुमत में ही रहेगी। ऐसे में उपचुनाव में कांग्रेस के बजाय भाजपा पर ज्यादा सीटें जीतने की चुनौती रहेगी।
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Source: Amar Ujala