मूवी रिव्यू: फिल्म ‘लंतरानी’ ग्रामीण जीवन से जुड़ी छोटी-छोटी तीन घटनाओं को मनोरंजक अंदाज में दर्शकों तक पहुंचाती है। फिल्म की पहली कहानी ‘हुड़ हुड़ दबंग’ में एक कॉन्सटेबल को अपने रिटायरमेंट वाले दिन एक अपराधी को अकेले अदालत ले जाने का जिम्मा मिलता है। इस काम के लिए उसे पहली बार एक पिस्तौल और एक गोली के साथ बुलेट मोटर साइकिल भी मिलती है। उस पुलिसवाले का साबका जिंदगी में पहली बार इन चीजों से पड़ा है।
दूसरी कहानी ‘सैनिटाइज्ड समाचार’ कहानी
फिल्म की दूसरी कहानी ‘सैनिटाइज्ड समाचार’ कोविड के दौर में टेलीविजन मीडिया के बदतर हालात को दिखाती है। फिल्म में एक लोकल समाचार चैनल के कर्मचारियों की बेहाल हालत दिखाई गई है जो कि नमकीन के पैकेट पैक करके अपना रोजाना खर्च निकाल रहे हैं। इसी बीच उनके चैनल को एक नया स्पॉन्सर मिलता है, जो कि अपने सैनिटाइजर का ऐड कराना चाहता है।
तीसरी कहानी ‘धरना मना है’ में जीतू भैया
वहीं फिल्म की तीसरी कहानी ‘धरना मना है’ एक महिला सरपंच और सरपंच पति की है। सरपंच पति का रोल जितेंद्र कुमार ने निभाया है। सरपंच और उसका पति जिला विकास अधिकारी के ऑफिस पर धरना देते हैं, ताकि उनके बैंक में खाता खुल सके और उसमें सरकार की ओर से विकास के लिए पैसा आ सके। फिल्म में सरकारी सिस्टम की चुनौतियों को खूबसूरती से दिखाया गया है।
‘हुड़ हुड़ दबंग’ सबसे ज्यादा प्रभावशाली
फिल्म की तीनों कहानियों में से पहली ‘हुड़ हुड़ दबंग’ सबसे ज्यादा प्रभावशाली बन पड़ी है। इसके डायरेक्टर गुरविंदर सिंह ने एक हास्य घटनाक्रम के जरिए समाज से जुड़ा एक महत्वपूर्ण संदेश देने का प्रयास किया है। कहानी का स्क्रीनप्ले भी दर्शकों को बांधता है।
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