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क्या बच पाएगी चन्नी सरकार?, भूचाल के बीच उठी फ्लोर टेस्ट की मांग, जानें किस खेमे में कितना दम

By अखण्ड भारत

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 गौतम सेठ, योगिंदर ढींगरा ने पंजाब कांग्रेस के महासचिव पद से इस्तीफा दिया, नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद पंजाब में धड़ाधड़ इस्तीफे हो रहे हैं तीन ग्रुपों मे बंटे विधायक, किसी के पास 59 का जादुई आंकड़ा नहीं, कांग्रेस विधायकों ने की फ्लोर टेस्ट की मांग, अगर फ्लोर ...

विस्तार से पढ़ें:

 गौतम सेठ, योगिंदर ढींगरा ने पंजाब कांग्रेस के महासचिव पद से इस्तीफा दिया, नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद पंजाब में धड़ाधड़ इस्तीफे हो रहे हैं

तीन ग्रुपों मे बंटे विधायक, किसी के पास 59 का जादुई आंकड़ा नहीं, कांग्रेस विधायकों ने की फ्लोर टेस्ट की मांग, अगर फ्लोर टेस्ट हुआ तो क्या गिर जाएगी कांग्रेस की सरकार?

हरियाणा/पंजाब/दिल्ली: आलाकमान ने बड़ा और कड़ा फैसला लेकर कांग्रेस में कलह के समापन का रास्ता निकाला था। नवजोत सिंह सिद्धू की चाहत पूरी करते हुए कैप्टन अमरिंदर सिंह से प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी छीन ली गई। 20 सितंबर को चरणजीत सिंह चन्नी नए सीएम बने, लेकिन सिद्धू की आकांक्षाएं अभी शेष थीं। उन्हें वो आलाकमान से ठीक वही नहीं मिला जो वो चाहते थे। यही वजह है कि सिर्फ आठ दिन में ही सिद्धू ने ऐसा पासा फेंक दिया कि आज आलाकमान भौंचक है। अब पंजाब में फ्लोर टेस्ट की मांग उठने लगी है।

कांग्रेस सरकार का शक्ति परीक्षण, कांग्रेसी विधायक ही करना चाहते हैं। मंगलवार को दिनभर की उठापटक के बीच कैप्टन अमरिंदर सिंह खेमे के विधायकों ने विधानसभा में फ्लोर टेस्ट कराने की मांग कर दी। उससे पहले आम आदमी पार्टी (AAP) ने नए सीएम के शपथ ग्रहण के दिन ही फ्लोर टेस्ट की मांग की थी। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर विधानसभा में शक्ति परीक्षण की बात आई तो क्या नए सीएम चरणजीत सिंह चन्नी अपनी सरकार बचा पाएंगे? अब तीन धड़ों में बंटी पंजाब कांग्रेस के हर धड़े का समीकरण क्या है? आइए समझने की कोशिश करते हैं।

क्या बच पाएगी चन्नी सरकार?, भूचाल के बीच उठी फ्लोर टेस्ट की मांग, जानें किस खेमे में कितना दम

विधानसभा में 117 सीटे हैं, बहुमत के लिए 59 सीटों की जरूरत होती है, 2017 विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 77 सीटों पर कब्जा जमाया था, बाद में कुछ और विधायक पार्टी में शामिल हो गए थे, आज के हालात में जहां पर कांग्रेस पार्टी तीन भागों में बंटी हुई है, एक खेमा कैप्टन अमरिंदर सिंह, दूसरा खेमा नवजोत सिंह सिद्धू और तीसरा खेमा चरणजीत सिंह चन्नी का का नजर आता है, तीनों ही नेता ये दावा कर रहे हैं कि उनके पास ज्यादातर विधायक हैं मगर विधायकों की संख्या तो 77 ही है, और अगर फ्लोर टेस्ट पास करना है तो 59 विधायकों का समर्थन चाहिए, तो क्या इन तीनों खेमों में से किसी के भी पास 59 विधायक है या नहीं। सप्ताह पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने पार्टी के विधायकों को अपने अमृतसर आवास पर नाश्ते के लिए बुलाया था, करीब 62 कांग्रेस विधायक उनके आवास पर पहुंचे, जिसके बाद मंत्रियों-विधायकों के साथ सिद्धू स्वर्ण मंदिर पहुंचे थे, ये महज एक मीटिंग नहीं थी बल्कि एक शक्ति प्रदर्शन के तौर पर भी देखा जा रहा था, सिद्धू का दावा रहा कि दो बसों में सवार होकर उनके आवास पर पहुंचे विधायकों की संख्या 70 है।

सूत्रों की माने तो सिद्धू की मीटिंग में 4 कैबिनेट मंत्रियों- सुखजिंदर सिंह रंधावा, तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा, सुख सरकारिया और चरणजीत सिंह चन्नी के अलावा 45 विधायक मौजूद रहे, इस तरह सिद्धू की शक्ति प्रदर्शन वाली इस मीटिंग में जुटे विधायक दल की संख्या 50 के भीतर रही है, इसके साथ ये भी कहा जा रहा था कि जो विधायक नवजोत सिंह सिद्धू के साथ दिखे थे, उनमें से ज्यादातर उनके माझा इलाके के थे, माझा इलाके की 25 में से 22 सीटें कांग्रेस के पास हैं। जबकि मालवा जोकि राजनीतिक लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण रहता है वहां की 69 सीटों में से 40 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा रहा है, इन दोनों के बाद महज 10-12 विधायक ही बचते हैं, जोकि चन्नी के समर्थन में बताए जा रहे हैं।

यहां पर थोड़ा समझने की जरूरत है, कि पंजाब कांग्रेस के तीनों खेमे की बात करें तो 59 का जादुई आंकड़ा फिलहाल नजर नहीं आता, नवजोत सिंह सिद्धू के पाले में 45-50 विधायकों का समर्थन जरूर नजर आता है, जोकि सबसे ज्यादा भी है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के पास 15-20 विधायकों के आस-पास ही समर्थन नजर आ रहा है, अब विधायकों के दिल की बात क्या है वो विधायक ही जानें मगर जो राजनीतिक हालात सामने दिख रहे हैं उनसे यही साफ हो रहा है कि पंजाब की राजनीति में सिद्धू का कद बढ़ा है, सबके बीच आखिरकार पंजाब के नवनियुक्त सीएम चरणजीत सिंह चन्नी कहां पर हैं, जी हां, आप उनको चर्चा से बाहर नही रख सकते, कांग्रेस आलाकमान ने पंजाब में दलित सीएम बनाकर वहां पर बैलेंस करने की कोशिश की मगर जब चन्नी सियासत की पिच में दो कदम आगे बढ़कर फैसले करने लगे तो शायद किसी को नहीं पचा, कहा जा रहा है कि शायद इसी से नाराज होकर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष पद से सिद्धू ने इस्तीफा दे दिया, मगर सवाल ये है कि अगर फ्लोर टेस्ट हो गया तो चन्नी सरकार बचा पाएंगे।

क्या बच पाएगी चन्नी सरकार?, भूचाल के बीच उठी फ्लोर टेस्ट की मांग, जानें किस खेमे में कितना दम

सिद्धू इस्तीफे के बाद पंजाब में धड़ाधड़ इस्तीफे हो रहे हैं, जाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद गौतम सेठ ने पंजाब कांग्रेस के महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है, वहीं, योगिंदर ढींगरा ने भी पंजाब कांग्रेस के महासचिव पद से इस्तीफा दिया है, इससे पूर्व सिद्धू के इस्तीफ के कुछ ही घंटों पंजाब सरकार से एक और मंत्री रजिया सुल्ताना ने सिद्धू के साथ एकजुटता दिखाते हुए पद से इस्तीफा दे दिया, इसके बाद ही फ्लोर टेस्ट की मांग होने लगी है, आंकड़ों पर नजर डाले तो यही समझ आता है कि इन तीनों खेमे में से किसी के पास भी इतने विधायक नहीं हैं जिससे 59 का जादुई आंकड़ा पार किया जा सके।

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