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किताबों से बढ़कर सच्चा व अच्छा दोस्त कोई नहीं: डाक्टर मीनाक्षी गुप्ता

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अदृश्य रूपी दानव {कोरोना संक्रमण} को हराने में किताबों का सबसे अधिक सहयोग, देश सहित विश्व के लिए सच्ची व अच्छी मित्र है किताबें

लेखक: डाक्टर मीनाक्षी गुप्ता, {डिप्टी लाइब्रेरियन} इंटरनल यूनिवर्सिटी बडू साहिब से है

शिमला: लगभग डेढ़ साल से भारत ही नहीं बल्कि समूचा विश्व कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है, समय-समय पर देश में लॉकडाउन की स्तिथि बनी और विभिन्न देशों की सरकारों ने जनता की सुरक्षा के लिए हर सम्भव प्रयास उठाए, घरों में रहने की वजह से इंसान तनाव ग्रस्त भी हुआ, कई युवाओं ने हाथ से नौकरियां जाने के बाद आत्महत्या करने के प्रयास किये, सर्वविदित है कि टेलीविजन पर धारावाहिकों के नए एपीसोड प्रसारित नहीं हो पाए, इस बीच ऐसा भी समय आया जब अदृश्य रूपी दानव {कोरोना संक्रमण} के कहर से इंसानी मौतों का लगातार आंकड़ा बढ़ता जा रहा था, और समाधान दूर-दूर तक नजर नही आ रहा था, परिजनों ने आँखों के सामने अपनों को तड़फ-तड़फ कर मरते देखा, लेकिन हम पीडितों को हाथ भी न लगा पाए, एसी स्तिथि में कदम घरों पर न रुके होते, तो अदृश्य रूपी दानव {कोरोना संक्रमण} न जाने कितनी जिंदगीयां, कितने परिवार, कितनी गली, मुहल्ले, कितने शहरों को तबाह कर चूका होता।

किताबों से बढ़कर सच्चा व अच्छा दोस्त कोई नहीं: डाक्टर मीनाक्षी गुप्ता
डाक्टर मीनाक्षी गुप्ता, {डिप्टी लाइब्रेरियन} इंटरनल यूनिवर्सिटी बडू साहिब

जब इंसान जिंदगी व मौत से गुजर रहा होता है, दोस्तों, रिश्तेदारों और शिक्षकों से मिलना संभव न हो, ऐसे में एक सच्चे मित्र, हमसफ़र व अंत तक साथ निभाने वाले सदुपयोगी सहारे कि जरूरत महसूस होती है, जिनके सहारे हम अदृश्य रूपी दानव {कोरोना संक्रमण} का कडाई से मुकाबला तो कर ही सकें, साथ ही मन, मस्तिक्ष को शांत रखकर जहाँ खुशी-खुशी आपातकाल का समय व्यतीत कर सकें, वहीं ज्ञान रूपी सागर प्राप्त हो सकें, यदि हम अदृश्य रूपी दानव {कोरोना संक्रमण} के समय को पीछे मुड़कर देखें तो ऐसे समय में किताबों से बढ़कर सच्चा व अच्छा मित्र, दूसरा नजर नही आता है, किताबों ने हमे आपातकाल के समय मौत जेसी चुनोतीयों, विपरीत परिस्तिथियों सहित विपदा की घड़ी में लड़ने की शक्ति प्रदान की है।

किताबों से बढ़कर सच्चा व अच्छा दोस्त कोई नहीं: डाक्टर मीनाक्षी गुप्ता
डाक्टर मीनाक्षी गुप्ता

देश ही नहीं बल्कि विश्व के बुद्धिजीवियों, नवजवानो, शिक्षकों, नेताओं, युवा, युवतियों, ग्रहणियों, नोकरी पेशा करने वाले वर्गों सहित छात्र, छात्राओं के लिए किताबे सच्ची व हितेशी मित्र बनकर उभरी है, जिन लोगो ने किताबों से सच्चे दोस्त की तरह बाते की, अपने विचार व्यक्त किये, संगीत की तरह किताबों को परखा, समुन्द्र तट पर टहलने जेसा वातावरण किताबों से पाया, प्रभु से प्रार्थना करने की तरह समझने की कोशिशें की है, उन्होंने अथाह ज्ञान रूपी सागर को प्राप्त किया है, किताबों की शक्ति से ही हम अदृश्य रूपी दानव {कोरोना संक्रमण} को हराने में कामयाब हो रहे है।

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किताबों से बढ़कर सच्चा व अच्छा दोस्त कोई नहीं: डाक्टर मीनाक्षी गुप्ता
डाक्टर मीनाक्षी गुप्ता

यक़ीनन हमारी युवा पीढ़ी पूरी तरह से इंटरनेट पर निर्भर है, और आजकल ऑनलाइन व ई-लाइब्रेरी का दौर है, ई-लाइब्रेरी की बात करें तो हम किताबों को सिर्फ हिंदी या इंग्लिश में नहीं बल्कि अन्य भाषाओं में एक्सेस कर सकते हैं, फिजिक्स, बायोग्राफी, धर्म, अधयात्म, इतिहास, अर्थशास्त्र, विज्ञानं, ऑनलाइन जर्नल्स, पेपर्स सहित बच्चों, बड़ों के हर मनपसंद की किताबें उपलब्ध है, ऑनलाइन का फायदा उन्हें भी मिलाता है, जिनके पास अपनी लाइब्रेरी नही है, सभी लोग अपनी मनपसंद के लेखकों को ऑनलाइन पढ़ रहे है, अधिकांश व्यक्ति इंटरनेट स्कोर्लिंग को पढते हुए समय व्यतीत कर रहे है, किताबे पढकर बिताया गया समय हमारे लिए उपयोगी, गुणात्मक, मनोबल बढाने वाला व राहत प्रदान करने वाला, तनाव मुक्त साबित होता है, दरअसल अदृश्य रूपी दानव {कोरोना संक्रमण} के समय किताबे जहाँ हमारी सच्ची मित्र साबित हुई है, वहीं किताबों ने हमारी काल्पनिक शक्ति व एकाग्रता को पहले से कही अधिक बढाया है, इसलिए सभी वर्गों के लोगो को किताबों से ही मित्रता रखनी चाहिए।

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